जहाँ ये कर दिखाना होगाl
हमारे दिल बताना होगा l
करोगे बात जैसी तुम भी ,
सवालों को उठाना होगा l
सुनी जो भीड़ तूने गाती ,
मिरे दिल का फ़साना होगा l
ख़बर जाती कहानी जब है, ,
नया किरदार निभाना होगा l
बताते जो ज़माने वाले,
हकीकत कब छिपाना होगा l
बदल जाना कहाँ रोका हम ने ,
अंधेरों को भगाना होगा l
कोई जो सोच कर बैठा है,
संभाला तू नगीना होगा l
"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
आ. भाई मोहन जी, अच्छी रचना हुई है । हार्दिक बधाई।
जनाब मोहन बेगोवाल जी आदाब,सुंदर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।
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