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हिट-पिट , गिटपिट -- डॉo विजय शंकर

हिट हिटा हिट हिट
पिट पिटा पिट पिट
ये भी एक अज़ब दौर है
क्या हो जाए कब हिट
क्या जाये कब पिट
पब्लिक की च्वॉइस
मीडिया की वॉयस।
जिस नेता की जयंती बरसी
दो दिन उसकी बातें हिट।
जिससे हो अपना भला ,
हो अपना मामला फिट
वही हिट, वही हिट, वही हिट ,
बाकी सब गिटपिट गिटपिट।
ये बड़ी ख़बर , वो ख़बर हिट ,
गाना हिट , पिक्चर हिट ,
विचार हिट , डायलॉग हिट
मेकियावली हिट , चाणक्य हिट ,
ये नेता हिट ,उसका घोर विरोधी भी हिट ,
समस्याएं सब अपनी अपनी जगह यथावत
लकीर लकीर ढूंढें अपने लिए फ़कीर
लकीर लकीर को मिले अपने अपने फ़कीर,
लकीर लकीर हिट
लकीर के फ़कीर , मस्त , खेलें
पिट , पिट पिटा पिट पिट पिटा पिट पिट।
मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Dr. Vijai Shanker on October 6, 2016 at 2:26pm
आदरणीय सुश्री कल्पना भट्ट जी , रचना पर आपकी उपस्थिति हेतु आभार एवम धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on October 6, 2016 at 2:26pm
आदरणीय शिज्जू शकूर जी , रचना को मान्यता देने के लिए आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 5, 2016 at 5:03pm

इस रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय | सुंदर रचना हुई है |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 5, 2016 at 4:50pm

आ. विजय शंकर सर सच्चाई बयाँ करती कविता हुई, मौजूदा सूचना तंत्र की बस यही कहानी है जो आपने पेश की है बहुत बहुत बधाई इस रचना के लिए

कृपया ध्यान दे...

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