For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुछ मुक्तक (उत्तराखंड त्रासदी पर)

(1)

चाय-औ-नाश्ते पे "इस" त्रासदी की चर्चा करेंगे

सदन मे बैठ कर वो लफ्ज़ का खर्चा करेंगे

"" बहुत गमगीन हैं हम" , सारे नेता कह रहे हैं

बने जो गर विधायक "इस" हानि का हरज़ा भरेंगे

(2).

तेरे बर्फ से दोस्ती थी तेरी दरिया से खेलते थे वो

अब घूँट भर पीने को उनको नही मयस्सर पानी

ये क्या कर दिया तूने पल भर मे तोड़ दी यारी

ये कैसी दुस्मनी अपनो से ये कैसी बद-गुमानी

(3).

सभी ये चाहते है अब ज़िंदगी की सूरत बदल जाए

ai खुदा कोई धूप ऐसी भेज की ये पानी जल जाए

..... बद-दुया है ये , की , कहे वक़्त की ज़रूरत इसको

अब कुछ अरसा ऐसा हो ये दरिया बर्फ मे ढल जाए

(मौलिक और अप्रकाशित)

.... copyright with अजय शर्मा 09415461125

Views: 984

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Lalit Kumar Singh on July 7, 2013 at 6:07pm
आदरणीय सुधिगण 
 मैं तो सचमुच भयाक्रांत हो चला हूँ इतनी सारी  परिचर्चाओं की खलबली देख कर।
अजय शर्मा जी ने बस यूँ ही लिख दिया होगा। लोग क्या सोचेंगे, ऐसा शायद उन्होंने नहीं सोचा होगा। कभ-कभी कुछ अनायास हो जाता है। बाद में उसकी वजह से कुछतर्क- वितर्क चलने लगते हैं।
सादर 

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 6, 2013 at 8:01pm

First of all, I thank Ajay Sharmajee for the unconditional acceptance of his mistakes and seeking pardon in this regard. 

He has been trying to share and convey his feelings through words.  Much is expected of him as a learner and, then, as the one who imparts.

Along, let me put here,  Hindi is the language,  he uses for such utterances, then, why...  why any other foreign language, English in particular here, should be used so frequently in conversations? The postings are in Hindi, then, It (using English during comments) shows something certainly different with Ahjay jee.. with Ajay jee's personality.

क्या मैं आदरणीय अजय शर्मा जी से प्रार्थना कर सकता हूँ कि हिन्दी के परिक्षेत्र में अंग्रेजी का प्रयोग अनावश्यक प्रदर्शन की तरह लगता है. इस मंच पर अंग्रेजी साहित्य के लिए अलग और स्थापित समूह है. आप उस समूह में अपनी भावनाएँ तदनुरूप अभिव्यक्त कर सकते हैं.

सादर


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 6, 2013 at 7:00pm

आदरणीय अजय शर्मा जी, हम सभी समेकित रूप से एक दुसरे से सीख रहे हैं, जो जितना जानता है वह एक दुसरे से शेयर करता है, अनुरोध बस इतना कि नियमित रहे कई बाते स्वयं सुलभ होती जाएगी और प्रयास करें कि हिंदी रचनाओं पर वार्ता भी हिंदी में हो, सादर. 

Comment by वेदिका on July 6, 2013 at 4:49pm

आपका बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय गणेश जी! बागी 

आपने मुक्तक के बारे में  जानकारी दी, मुझे क्लियर हुआ!!

मार्गदर्शन बनाये रखिये!   

Comment by वेदिका on July 6, 2013 at 4:45pm

आपका स्वागत है अजय शर्मा जी!

शुभेच्छाएँ!! 

Comment by ajay sharma on July 6, 2013 at 4:37pm

i am really sorry for my words being so straight  ,though i was not intended , vedika ji you took it otherwise ,,,,,i have posted  whatever i have written ,,,,,if somebody sees there any mistakes or shortcomings ,,he./she could only be requested to get them indicated /// corrected  ,  same i did,,,i never said i am a trained poet,,,,so there must be some flaw // mistakes in writing ,,,, better way is to get rid of them is to get guidance from someone who is well versed or trained in ....poetry........so i requested you both  ...............as ER Ganesh ji said .....all three muktaks are out of lines or discarded as far as technicality is concerned ....i never tried in muktaks but  efforts  in muktaks will remain there...............thanks to all .......sorry to shiromani ji & vedika ji   


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 6, 2013 at 9:57am

//(मौलिक और अप्रकाशित) ये तो ठीक है //
.... copyright with अजय शर्मा ०९४१५४६११२५///ये क्या है भाई साहब ///

भाई राम शिरोमणि जी, अनावश्यक बातों पर टिप्पणी एक जिम्मेदार सदस्य को शोभा नहीं देता, यदि उन्होंने लिख ही दिया है तो उससे रचना की गुणवत्ता से क्या लेना देना, आप से अनुरोध है कि कृपया रचना तक ही सिमित रहे, शेष भाग प्रबंधन हेतु छोड़ दें . 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 6, 2013 at 9:53am

साथियों, मुक्तक विधा ग़ज़ल जानने वालों के लिए कुछ विशेष नही है, एक मतला और एक शेर को जोड़ दें, हो गया मुक्तक ,  ग़ज़ल की सारी नियमें यथा रदीफ़, काफ़िया, बहर, ऐब सभी का पालन होगा, ध्यान देने की बात यह है कि ग़ज़ल मुसलसल और गैर मुसलसल दोनो हो सकती है किंतु मुक्तक मुसलसल होना चाहिए, मुसलसल अर्थात एक विषय पर केंद्रित भाव | 

उम्मीद है बात स्पष्ट हो गई होगी । 

अब यदि आदरणीय अजय जी की रचना देखें तो 1 और 2 मुक्तक विधा पर पूरी तरह खारिज है जबकि 3 रदीफ़ , काफिया स्तर पर तो ठीक किन्तु बहर से खारिज है . 

सादर .    

Comment by वेदिका on July 6, 2013 at 5:55am

     //ख़ासकर वेदिका जी और पाठक जी से विशेष निवेदन की कृपया मेरी रचना में अपेक्षित सुधार कर दे ,,,मैं  बेचैन रहूँगा आपकी इस्लाह के बाबत,,//

आदरणीय अजय जी!  मैंने पहले ही स्पष्ट कर दिया है की मुझे आपकी रचना के भाव अच्छे लगे!!

आपने शायद मेरी प्रतिक्रिया ध्यान से नही पढ़ी.  

//जहाँ तक मेरी जानकारी है, मुक्तक  में पहला पद, तीसरा पद, और आखिरी पद  सम तुकांत होते है,, इस नियम के तहत शायद ये मुक्तक मानक पे खरा नही है,,

क्या कोई और भी     नियम है ऐसा?? मंच से जिज्ञासा रखती हूँ //

मैंने तो केवल अपने अधूरे ज्ञान के कारण जिज्ञासा प्रकट की है की क्या वास्तव में ऐसा कोई नियम है क्या,, जिसके तहत आपकी रचना आती हो।  अब जबकि मुझे मुक्तक विधा आती ही नही मै कैसे आपकी रचना में अपेक्षित सुधार कर सकती हूँ ? और मुक्तक विधा पर प्रकाश डालने का निवेदन मैंने मंच से किया था और आपको खामखा ही बुरा लग रहा है..

मै क्षमा चाहूंगी आपसे,, और मेरा ज्ञान उतना नही जितना की आदरणीय राम शिरोमणि जी का,, अस्तु वे ही अपेक्षित सुधार में सहयोग कर सकते है 

आप लिखें और खूब लिखें यही शुभकामना आपको   

सादर गीतिका 'वेदिका'  

Comment by ajay sharma on July 5, 2013 at 11:46pm

सभी साहित्य और गीत ग़ज़ल के मर्मग्य गुणी जनों को सबसे पहले मेरी आधी अधूरी और टेक्निकल रूप से अपरिपक्व रचना की हौसलाअफज़ाइ हेतु धन्यवाद ,
ख़ासकर वेदिका जी और पाठक जी से विशेष निवेदन की कृपया मेरी रचना में अपेक्षित सुधार कर दे ,,,मैं  बेचैन रहूँगा आपकी इस्लाह के बाबत,,,स्‍पष्ट कर दूँ , की ये मुक्तक त्रासदी के दूसरे दिन से लेकर आज से तीन रोज़ पूर्व के है अतः
तुकांत का दोष तो होना स्वीकारता हूँ ,,,,,,भाव के स्तर
पर कमी और दोष का निवारण समान रूप के स्वीकार योग्य होगा यदि योग्य हुआ ........

moreover ,,,,pathak ji i could not understand whether you tried to comment on my muktaks or you found yourself uncomfortable with my language or style ,,,,,i see myself as a learner who has been trying to learn ABC of something that you people know as poetry   ,,,

"""ai """"खुदा कोई धूप ऐसी भेज की ये पानी जल जाए// कुछ नया देखने को मिला //हिन्दी के साथ इंग्लिश //शायद आपने हिंगलिश में लिखने की कोशिस की है   """"""""""    

///वाह नया प्रयोग // """""""""""" i was not able to put the word "ai" in devnagiri so i had to do that way ......you got annoyed or praised ,,,i did not understand    

(मौलिक और अप्रकाशित) ये तो ठीक है //    
.... copyright with अजय शर्मा ०९४१५४६११२५///ये क्या है भाई साहब ///    this is what i mentioned above,,,,some flaw in my typing .......but what's wrong with this,,,it is strange you couldn't make it ......ajay kumar sharma mob. no. 094154651125 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Samar kabeer commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो
"जनाब नीलेश 'नूर' जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई, बधाई स्वीकार करें । 'भला राह मुक्ति की…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा पाण्डे जी, सार छंद आधारित सुंदर और चित्रोक्त गीत हेतु हार्दिक बधाई। आयोजन में आपकी…"
20 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी,छन्नपकैया छंद वस्तुतः सार छंद का ही एक स्वरूप है और इसमे चित्रोक्त…"
20 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी, मेरी सारछंद प्रस्तुति आपको सार्थक, उद्देश्यपरक लगी, हृदय से आपका…"
20 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा पाण्डे जी, आपको मेरी प्रस्तुति पसन्द आई, आपका हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ।"
20 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी"
21 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीय "
21 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी उत्साहवर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार। "
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप उत्तम छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
22 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय प्रतिभा पांडे जी, निज जीवन की घटना जोड़ अति सुंदर सृजन के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
22 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण जी, सार छंद में छन्न पकैया का प्रयोग बहुत पहले अति लोकप्रिय था और सार छंद की…"
22 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service