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ज़रा याद करो कुर्बानी

आज़ादी बेमोल नहीं मिलती
नायाब कीमत अदा  करनी पड़ती है
 
सुहागिनों का सिंदूर
बहनों के प्रेम सूत्र
अबोध काया का साया
पिता का दुलार
ममतामयी माँ का
आँचल बिसरा
 
निकल पड़ते है
वीर जवान
देश की खातिर
करने सब कुर्बान
 
रखना है हमवतनों को
वतन की आन का मान
उनके लिए
क्या मायना रखती है
अपनी जान
 
मारेंगे या मर मिटेंगे
हो जायेंगे कुर्बान
वो रहें न रहें
सलामत रहेगी
देश की आन
 
 
रजनी छाबड़ा
 
 
 

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Comment

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Comment by AVINASH S BAGDE on August 17, 2012 at 12:25pm

आज़ादी बेमोल नहीं मिलती

नायाब कीमत अदा  करनी पड़ती है....
---------------------------------
 
बहुत सुन्दर रजनी जी
जज्बातों को नमन....

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 16, 2012 at 3:02pm

  बहुत सुन्दर रजनी जी देश के प्रति सुन्दर भावनाओं से ओतप्रोत रचना के लिए बधाई 

Comment by UMASHANKER MISHRA on August 15, 2012 at 9:42pm

आदरणीया रजनी जी आपके जज्बातों को नमन

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