For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा- "एक और गैंगरेप"

नमिता गाड़ी की पिछली सीट पर आंखें मूंदे हुए सिर टिकाए सोच में डूबी हुई थी। यूं तो उसे फिल्म इंडस्ट्री में आए 3 साल हो गए थे। वह एक छोटे से कस्बे से आती थी, शुरू में उसको काम मिलने में बहुत दिक्कत हुई, दरअसल वह बोल्ड सीन देने से बचना चाहती थी, लेकिन बॉलीवुड में यह संभव न था। इधर 6 महीनों में उसने दो बड़ी फिल्में साइन की थीं, लेकिन आज उसका मन बहुत ज्यादा उद्वेलित था, क्योंकि अपनी मर्जी के विरुद्ध उसे आज काफी बोल्ड दृश्य करने पड़े थे। यही सब सोचते सोचते वह अपने घर पहुंच गई। फ्लैट का ताला खोला और वहीं बाहर के कमरे में सोफे पर बैठ गई।
कुछ सोच कर सामने टेबल पर पड़े टीवी रिमोट का बटन दबाया और किचन की तरफ चली पानी लेने।
जाते जाते उसके कानों में यह शब्द पड़े, "बॉलीवुड में बढ़ता हुआ सेक्स का खुला प्रदर्शन, अश्लील दृश्य और नृत्य, यह सब कच्ची उम्र के युवाओं की काम भावनाओं को भड़काते हैं, उनके अवचेतन मन पर इन दृश्यों का गहरा प्रभाव होता है, कल्पनाओं में स्वयं को उन अभिनेत्रियों के साथ देखते हैं किंतु वहां तक उनकी पहुँच नहीं होती, तो जब उन्हें कोई और कमजोर स्त्री हाथ आती है या कोई ऐसा मौका हाथ लग जाता है, तो अपनी दबाई हुई इच्छाओं को वह रोक नहीं पाते"; कोई मनोवैज्ञानिक बोल रहा था।

इसके तुरंत बाद न्यूज़ की हेड लाइन में "कविता खन्ना" का नाम चमका-

"एक और गैंगरेप"

रिपोर्टर बोल रहा था-

" अपनी दोस्तों के साथ बाहर घूमने गई थी, वह अपनी बड़ी बहन बॉलीवुड अभिनेत्री, नमिता खन्ना के साथ रहती थीं जो आज किसी आउटडोर शूटिंग के लिए शहर से बाहर थीं" नमिता के हाथ से पानी का ग्लास छूटकर दूर जा गिरा, न्यूज़ चल रही थी....

मौलिक व अप्रकाशित

डॉ वन्दना मिश्रा, लखनऊ

Views: 497

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Vandana Misra on November 27, 2020 at 12:23pm

 Samar kabeer जी, यदि विस्तार से कुछ मार्गदर्शन कर सकें, तो आभारी रहूँगी, अपने कथ्य पर मुझे कोई संदेह नहीं किंतु इस विधा के शिल्प में मैं अभी नयी हूँ।

  1. मनोविज्ञान में गहन अभिरुचि के चलते मनोवैज्ञानिक समाधान साहित्य के माध्यम से जन जन में पहुंचाना चाहती हूँ।

सादर!

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 1, 2020 at 8:33pm

विषय बहुत ही संवेदन शील एवं सटीक है आदरणीया लेकिन आदरणीय समर जी से मैं भी सहमत हूँ।

Comment by Samar kabeer on October 20, 2020 at 8:15pm

मुहतरमा डॉ. वंदना मिश्रा जी आदाब, आज के हालात पर लघुकथा का प्रयास अच्छा है,लेकिन कसावट की कमी है, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हम सपरिवार बिलासपुर जा रहे है रविवार रात्रि में लौटने की संभावना है।   "
2 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुंडलिया छंद +++++++++ आओ देखो मेघ को, जिसका ओर न छोर। स्वागत में बरसात के, जलचर करते शोर॥ जलचर…"
3 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुंडलिया छंद *********** हरियाली का ताज धर, कर सोलह सिंगार। यौवन की दहलीज को, करती वर्षा पार। करती…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम्"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
Wednesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service