For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अपनी अपनी खुशी(लघुकथा)

अपनी अपनी खुशी  

ऊँचका घर यानि बाबा घर में लंबी प्रतीक्षा के बाद पोता हुआ है।पोतियाँ पहले से हैं। परिवार के कुछ लोग शहर से आए हैं। मिठाइयाँ बंट रही हैं। मुहल्ले के लोग मिठाई खाते,खुशी का इजहार करते। कोई कहता, ‘बस यही कमी थी। भगवान ने सुन ली।

ऊपरवाले के घर देर है,अँधेर नहीं।मेरा आशीष फल गया।खुश होकर वीरू की भौजाई बोली।उसे तो मिठाई के साथ कुछ रुपये भी मिले हैं। गिने-चुने लोगों ने परिवार में पोता होने की दुआ की थी,उनमें से वह भी एक है। जो लोग कभी इधर नहीं आते थे, उनमें से भी कुछ लोग दरवाजे पर आकर बधाई देकर, मिठाई खाकर गए हैं। पर, अपनी खास पड़ोस में कोई हलचल, कोई उछाह नहीं है। कल तक वे लोग मिलते थे, हँस-हँसकर बातें करते थे। आज पीठ दिखाते निकाल जाते हैं। मुँह से बोल क्या फूटें,चेहरे तक मुरझाए हुए हैं।

बड़े बाबा छोटे बाबा से पूछते है, ‘क्या हुआ? ये सब कटे-कटे क्यूँ रहते हैं?’

इनकी मत पूछिए। जब से बाबुल के आने की खबर हुई है, सब सूख गए हैं। लगता है, पाला के मारे हुए हैं सब।

हाँ। कल शाम को उनके बड़कू भाई आए थे,बुलाने पर ही। उन्होने भी बस इधर-उधर की बातें की।कुछ खुशी वगैरह नहीं जता पाये।

उनकी पत्नी तो बाबुल की चाची से खोज-खोजकर बातें करती थीं। इस खबर के बाद मुँह फिराकर चलती हैं।जाने क्या दुख है इनलोगों को।छोटे बाबा जी बोले।

अच्छा।

बूढ़ी रउताइन कहती थीं कि जब हमलोगों के बाबा पीलिया के शिकार हुए थे, तो इनके पूर्वजों ने दवा-इलाज कराने से मुँह मोड़ लिये थे। सब लोग साथ थे। वे लोग ही मालिक थे। सोचते थे कि नहीं रहेंगे, तो वंश डूब जाएगा। सारी मिल्कियत के मालिक बन जाएंगे।बड़े स्वार्थी हैं सब।ईर्ष्यालु भी। छोटे बाबा बोलते गए।

सो तो है।

और तब इनके पूर्वज लोग खूब खुश थे कि पीलिया से भला कोई बचा है? फिर इधर, कहते फिरते थे कि इन लोगों को बस पोतियाँ हैं........बेटियाँ इनके लिये महत्व नहीं रखतीं। अब मिर्ची लगी है।छोटकू गुस्सैल अंदाज में बोले।

वे भी खुश हैं।बड़े बाबा बोले।

कैसे भइया?’

कुछ लोग औरों की खुशी में शामिल होकर खुश होते हैं, कुछ दुखी होकर।

हाहाहा ....हेहेहे .... ।कुछ देर तक दरवाजे पर यही स्वर गूँजता रहा।

"मौलिक एवं अप्रकाशित"

Views: 299

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on October 26, 2022 at 9:47am

आदरणीय लक्ष्मण भाई जी,आपका आभार । 

Comment by Manan Kumar singh on October 26, 2022 at 9:46am

आदरणीय महेंद्र जी,आपका आभार । 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 26, 2022 at 9:34am

आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। अच्छी लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।

Comment by Mahendra Kumar on October 21, 2022 at 11:12am

अच्छी लघुकथा है आदरणीय मनन जी। हार्दिक बधाई प्रेषित है।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"प्रस्तुति को आपने अनुमोदित किया, आपका हार्दिक आभार, आदरणीय रवि…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
Saturday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
Saturday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service