१२२/१२२/१२२/१२२
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कभी तो स्वयं में उतर ढूँढ लेना
जहाँ ईश रहते वो घर ढूँढ लेना।१।
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हमेशा दवा ही नहीं काम आती
कहीं तो दुआ का असर ढूँढ लेना।२।
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कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में
कि बच्चो बड़ों की उमर ढूँढ लेना।३।
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तलाशे बहुत वट सदा काटने को
कभी छाँव को भी शज़र ढूँढ लेना।४।
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हमेशा लड़ा ले सिकंदर की चाहत
कभी बनके पोरस समर ढूँढ लेना।५।
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मिलेगा नहीं कुछ ये नीदें चुराकर
हमें फर्क किससे क़सर ढूँढ लेना।६।
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पढ़ा मत करो यूँ सदा चुटकले ही
कभी रक्त भीगी ख़बर ढूँढ लेना।७।
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तलाशे बहुत ताज खोना जिन्हें है
बढ़े मान जिससे सिफ़र ढूँढ लेना।८।
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मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
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