For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खुश है जेल तिहाड़ का (अविनाश बागडे)

ओ बी ओ सदस्य श्री अविनाश बागडे जी की रचना

खुश है जेल तिहाड़ का,मन में है विश्वास.
गृह-मंत्री भी आयेंगे,चलकर उसके पास.

कमल कर रहा कोलाहल,कीचड में है हाथ.
मध्यावधि- चुनाव के रौशन है हालात.

शीर्ष मंत्रियों में मची ऐसी ,काटम -काट.
दस- जनपथ का देखिये .चिंता भरा ललाट.

जप-तप कर के खप गये ,मिला नहीं भगवान
मन-उपवन में झांकते,हो जाता कल्याण.

अविनाश बागडे.

Views: 488

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by AVINASH S BAGDE on October 1, 2011 at 4:39pm

Sanjay yadav ji,Aashish yadav ji,Bagi ji,Saurabh pande ji,  aur Dharam JI....SABKA AABHAR.

Comment by Sanjay Rajendraprasad Yadav on September 28, 2011 at 11:02am
" बहुत सुन्दर ,बहुत सही मन प्रसन्न हो गया आपकी हकीकत को सारोकार करती इस रचना से ,
आपको बहुत-बहुत बधाई " !!!!!!!!!!!!! 
Comment by Sanjay Rajendraprasad Yadav on September 28, 2011 at 11:02am
" बहुत सुन्दर ,बहुत सही मन प्रसन्न हो गया आपकी हकीकत को सारोकार करती इस रचना से ,
आपको बहुत-बहुत बधाई " !!!!!!!!!!!!! 
Comment by आशीष यादव on September 27, 2011 at 11:29pm

shri श्री अविनाश बागडे जी ji, bahut samyik rachna ki hai aapne. bahut sundar shilp ka prayog.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 27, 2011 at 11:26pm

बागडे साहब, सबसे पहले तो ओ बी ओ पर आपका ह्रदय से स्वागत है, राजनीति की गलियारे में पैठ बनाती हुई इस रचना की जितनी भी तारीफ़ किया जाय कम है, बहुत ही करारा तमाचा जड़ा है आपने इस रचना के माध्यम से, तिहाड़ गेस्ट हॉउस में मेहमानों का आना जाना यू ही बना रहा तो वह दिन दूर नहीं जब सरकार विश्व का आदर्श जेल के नाम पर ५ सितारा सुविधा से लैस कर देगी, अंततः तो पोलिटिसियन ओल्ड एज होम ही उन सबको जाना ही होगा |

इस कथ्य प्रधान रचना पर बधाई स्वीकार करे मान्यवर |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 27, 2011 at 10:28pm

सामयिकी को बहुत ही जानदार शब्द मिले हैं, भाई अविनाशजी. विशेषकर आखिरी दोहे ने भरपूर ध्यान खींचा है और संदेशपरक है. 

हार्दिक बधाइयाँ. शिल्प पर दिया गया थोड़ा सा ध्यान छंदों को परिष्कृत होने का कारण बन जायेगा. विश्वास है मेरे शब्द आपको और उत्साहित होने का कारण बनेंगे.

प्रयास और प्रविष्टि के लिये बहुत-बहुत बधाइयाँ.

 

Comment by धर्मेन्द्र शर्मा on September 27, 2011 at 9:38pm
आदरणीय बागडे. जी, बहुत ही मर्मस्पर्शी और सामयिक कविता है आपकी. अच्छे सन्देश के साथ ही आपने इस रचना को अच्छा विराम दिया है.... //जप-तप कर के खप गये ,मिला नहीं भगवान, मन-उपवन में झांकते,हो जाता कल्याण.// तथाकथित पाखण्ड और कर्मकांड पर करार प्रहार करती ये रचना दिल को छू गयी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिये.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२२१/२१२१/१२२१/२१२ ***** जिनकी ज़बाँ से सुनते  हैं गहना ज़मीर है हमको उन्हीं की आँखों में पढ़ना ज़मीर…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन एवं स्नेह के लिए आभार। आपका स्नेहाशीष…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आपको प्रयास सार्थक लगा, इस हेतु हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. "
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार आदरणीय । बहुत…"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"छोटी बह्र  में खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई 'मुसाफिर'  ! " दे गए अश्क सीलन…"
Tuesday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"अच्छा दोहा  सप्तक रचा, आपने, सुशील सरना जी! लेकिन  पहले दोहे का पहला सम चरण संशोधन का…"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। सुंदर, सार्थक और वर्मतमान राजनीनीतिक परिप्रेक्ष में समसामयिक रचना हुई…"
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२/२१२/२१२/२१२ ****** घाव की बानगी  जब  पुरानी पड़ी याद फिर दुश्मनी की दिलानी पड़ी।१। * झूठ उसका न…See More
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"शुक्रिया आदरणीय। आपने जो टंकित किया है वह है शॉर्ट स्टोरी का दो पृथक शब्दों में हिंदी नाम लघु…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"आदरणीय उसमानी साहब जी, आपकी टिप्पणी से प्रोत्साहन मिला उसके लिए हार्दिक आभार। जो बात आपने कही कि…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service