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कुछ हाइकु

नारी----

.
बेबस नारी
परिवार पालती
रुखा खाकर.

कुल हाडी------

.
आरोपित है
जीवन देने वाली
कुल हाडी है.

आदमी----

आदमी देखो
गिरगिट सा रंग
मन मे भरा.

dr a kirtivardhan

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Comment

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प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on January 13, 2012 at 11:26am

बहुत सुन्दर और सार्थक हाइकु डॉ कीर्तिवर्धन जी, हार्दिक साधुवाद.

Comment by Neelam Upadhyaya on January 13, 2012 at 9:55am

डॉ किर्तिवर्धन जी, बहुत ही बढ़िया हाइकू बने हैं . बधाई .


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 12, 2012 at 3:05pm

इस विधा पर आपके भाव-विचार संयत और स्पष्ट हैं, कीर्तिवर्द्धनजी. आपका सतत प्रयास रचना के और गठित होने का कारण बनेगा. आपकी संलग्नता के लिये सादर धन्यवाद.

 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 12, 2012 at 1:32pm

आदरणीय डॉ किर्तिवर्धन जी , हाइकु अच्छे बन पड़े है, ५-७-५ के स्केल में इतना कुछ कह पाना आसान नहीं है, बधाई स्वीकार करें |

कृपया ध्यान दे...

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