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जीता हूँ हर पल इस दुनिया में मगर 

डरता हूँ इस दुनिया से ,यह मुझे गुमनाम न बना दे 

लड़ता हूँ हर पल एक जंग सी खुद से
खो देता हूँ  सपनों के पूरा होने की आस 
टूट सा जाता है विश्वास खुद से 
सजाये थे जो ख्यालों के जो आशियाने 
उम्मीदों के बनाये थे जो शामियाने 
जैसे एक बवंडर सा आया और सब तबाह कर गया 
रह गयी तोह बस वोह नीव जिस पर सब टिका था 
कभी खुद की नज़रों का तारा था मैं 
लेकिन अब वोह तारा टूटता सा नज़र आता है 
कभी दूसरों का सहारा था मैं 
अब खुद को बेसहारा सा पता हूँ मैं 

एक लौ  सी थी  मुझमे
जो आग की तलाश  में जल रही थी  
आई एक घनघोर घटा 
जो सब कुछ बुझा सी गयी 
 अब तो  खुद की तलाश भी मुश्किल सी हो गई है 
चुबक की सुइयां भी सो सी गई है 
चरों दिशाओं में एक रोशन सा अँधेरा है 
जो आँखों को चोंधिया सा  रहा है 
न जाने क्यों फिर भी एक उम्मीद सी है दिल में
की अपने ख्वाबों को फिर से जी लूँ 
हर दर्द को एक घूंट में पी लूँ 
अंधेरों को तो  जुगनू भी चीर जाते हैं
हम तोह फिर भी इंसानियत की मशाल थामे हुए हैं 
कुछ पल तोह सूरज को भी ग्रहण लगता है
तो क्या वो सुबह फिर लौटना छोड़ देता है
इरादों में अगर तेरे दम है , तो तू क्यों उमीदों का दामन छोड़ता है
तुझे किसी से कम नहीं बनाया हे भगवान  ने
तू क्यों  डरता है फिर इस  इन्सान से
बस पहचान ले तू अपने उस हूनर को
लगा दे जी जान तू पहुच अपने मुकाम पे 
रख हौसला ये दो पल के अँधेरे भी मिट जायेंगे 
तुझे गुमनाम बनाने वाले ये दुनिया वाले तेरे मुरीद बन जायेंगे | 
 

Views: 496

Comment

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Comment by Rohit Dubey "योद्धा " on March 11, 2012 at 11:13pm
Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 10, 2012 at 6:53pm

प्रिय रोहित जी,

उम्मीद का दामन ही वो चीज़ है जो जीवन के हर पग पर काम आती है और हमारे कार्य सिद्ध भी करती है| निराशा और आशाके बीच के अंतर्द्वंद को बहुत ढंग से प्रस्तुत किया आपने| बहुत अच्छे|


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 9, 2012 at 4:10pm

आत्मविश्वास को सबल करती रचना.. .

 

निवेदन : प्रविष्टियों को अपलोड करने के पूर्व अक्षरी दोष ठीक कर लिया करें.

Comment by Rohit Dubey "योद्धा " on March 9, 2012 at 4:00pm

Thankyou so much Pradeep Ji and Aushutosh Ji

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 9, 2012 at 3:59pm

तुझे किसी से कम नहीं बनाया हे भगवान  ने

तू क्यों  डरता है फिर इस  इन्सान से
बस पहचान ले तू अपने उस हूनर को
लगा दे जी जान तू पहुच अपने मुकाम पे 
रख हौसला ये दो पल के अँधेरे भी मिट जायेंगे 
तुझे गुमनाम बनाने वाले ये दुनिया वाले तेरे मुरीद बन जायेंगे | 
 great sprit. badhai. 

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