For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सात समुद्र पार कर,
आई पिया के द्वार ,
नव नीले आसमां पर,
झूलते इन्द्रधनुष पे ,
प्राणपिया के अंगना ,
सप्तऋषि के द्वार ,
झंकृत हए सात सुर,
हृदय में नये तराने |
.........................
उतर रहा वह नभ पर ,
सातवें आसमान से ,
लिए रक्तिम लालिमा
सवार सात घोड़ों पर ,
पार सब करता हुआ ,
प्रकाशित हुआ ये जहां
आलोकिक आनंदित
वो आशियाना दीप्त |
...............................
थिरक रही अम्बर में ,
अरुण की ये रश्मियाँ,
चमकी धूप सुनहरी सी
अब आई मेरे अंगना ,
है स्फुरित मेरा ये मन ,
खिल उठा ये तन बदन
निभाने वो सात वचन ,
आई अपने पिया के घर |

Views: 624

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rekha Joshi on September 7, 2012 at 7:59pm

दीपक जी ,आपके कमेन्ट से तो दिल गार्डन गार्डन हो गया ,सीखने की कोई उम्र नही होती अपने इतना मान दिया आपका आभार 

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on September 3, 2012 at 10:27am

रेखा मैडम जी हौंसला वधाण दी लोड ते बच्चेयां नूँ पैंदी तुस्सी ते खुद इक ज्ञान भण्डार हैगे ओ तुहाडे तों ते अस्सी सिखणा हैगा बुहत कुछ होर तुहाडे नाल ते साड्डा इक गहरा रिश्ता हैगा तुस्सी अम्बरसर (अमृतसर) दे हो अस्सी जिंदगी दी हसीन पल औहथे गुज़ारे हाँ डी.ए.वी कालज विच (एम० ए० इकोनोमिक्स) अज्ज भी हर साल जांदा हाँ ता पुराने दोस्त कालज दी कंटीन च मिलदे हन I G .N .D .U DA PYARA CAMPUS लाजवाब तुहाडी कहाणी बिलकुल मेरी सोच जेई हैगी..
SEE MY COLLEGE PHOTOGRAPHS OF AMRITSAR IN OBO ALBUM

Comment by Rekha Joshi on September 1, 2012 at 7:39pm

हौंसला वदान लई तुहाडा बौत बौत धन्वाद दीपक जी 

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on September 1, 2012 at 12:41pm
रोमांस ,रोमांच ,आतुरता भाव से भरपूर अतिसुन्दर रचना  ...........रेखा जी  कमॉल करी दित्ता तुसां 
दीपक शर्मा 'कुल्लुवी'
Comment by Rekha Joshi on August 25, 2012 at 10:04am

प्रोत्साहन के लिए आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय अशोक जी 

Comment by Ashok Kumar Raktale on August 24, 2012 at 10:54pm

है स्फुरित मेरा ये मन ,
खिल उठा ये तन बदन
निभाने वो सात वचन ,
आई अपने पिया के घर

मन के भावों को प्रदर्शित करती सुन्दर रचना के लिये बधाई स्वीकारें आ. रेखा जी.

Comment by Rekha Joshi on August 23, 2012 at 7:28pm

आदरनीय नवल जी और अशोक जी ,उत्साह बढाने ले लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद 

Comment by अशोक पुनमिया on August 22, 2012 at 1:53pm

बहुत ही सुन्दर रचना.....बधाई.

Comment by Naval Kishor Soni on August 22, 2012 at 12:35pm

बहुत खूब सूरत ....बधाई !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Monday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service