फैक्ट्री के आफिस के सामने एक लम्बी सी कार आ कर रुकी और भुवेश बाबू आँखों पर काला चश्मा चढ़ा कर आफिस में अपना काला बैग रख कर वह किसी मीटिग के लिए चले गए, जब वह वापिस आये तो उनके बैग में से किसी ने पचास हजार रूपये निकाल लिए थे। आफिस के सारे कर्मचारियों को पूछताछ के लिए बुलाया गया, सबकी नजरें सफाई कर्मचारी राजू पर टिक गई क्योकि उसे ही भुवेश बाबू के कमरे से बाहर आते हुए देखा गया था। अपनी निगाहें नीची किये हुए राजू के अपना गुनाह कबूल कर लिया और मान लिया कि वह ही चोर है, पुलिस आई और राजू को पकड़…
ContinueAdded by Rekha Joshi on August 27, 2013 at 1:00pm — 19 Comments
आशा की इक नवकिरण
भर देती है संचार तन में
पंख पखेरू बन के ये मन
भर लेता है ये ऊँची उड़ान
जा पहुंचा है दूर गगन पर
पीछे छोड़ के चाँद सितारे
छू रहा है सातवाँ आसमां
गीत गुनगुनाये धुन मधुर
रच रहा है हर पल नवीन
सृजन निरंतर रहा है कर
झंकृत करता तार मन के
बन जाता मानव महान
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Rekha Joshi on May 31, 2013 at 8:41pm — 5 Comments
मत तोड़ फूल को शाख से
झूमते झूलते संग हवा के
हिलोरें ले रही शाखाओं पर
सज रहें ये खिले खिले पेड़
बहने दो संगीतमय लहर
यही तो गीत है जीवन का
....................................
रहने दो फूल को शाख पर
वहीँ खिलने और झड़ने दो
बिखरने दो इसे यूं ही यहाँ
आकुल है भूमि चूमने इसे
महकने दो आँचल धरा का
सृजन होगा नवगीत यहाँ
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Rekha Joshi on April 22, 2013 at 4:33pm — 15 Comments
मै हूँ धरती
आसमान पे चाँद
साथ साथ है
....................
शीतल तन
लहराती चांदनी
छटा बिखरी
...................
ठंडी हवाएं
जल रहा बदन
तड़पा जाती
.................
स्नेहिल साथ
अंगडाई प्यार की
बहार आई
..................
रात की रानी
दुधिया चांदनी है
महके धरा
अप्रकाशित एवं मौलिक
Added by Rekha Joshi on March 23, 2013 at 11:21pm — 4 Comments
मै बांसुरी बन जाऊं प्रियतम
और फिर इसे तुम अधर धरो
.............................................
.धुन मधुर बांसुरी की सुन मै
पाऊं कान्हा को राधिका बन
..........................................
रोम रोम यह कम्पित हो जाए
तन मन में कुछ ऐसा भर दो
............................................
प्रेम नीर भर आये नयनों में
शांत करे जो ज्वाला अंतर की
..........................................
फैले कण कण में…
ContinueAdded by Rekha Joshi on March 3, 2013 at 11:53am — 20 Comments
''सोनू आज तुमने फिर आने में देर कर दी ,देखो सारे बर्तन जूठे पड़ें है ,सारा घर फैला पड़ा है ,कितना काम है ।''मीना ने सोनू के घर के अंदर दाखिल होते ही बोलना शुरू कर दिया ,लेकिन सोनू चुपचाप आँखे झुकाए किचेन में जा कर बर्तन मांजने लगी ,तभी मीना ने उसके मुख की ओर ध्यान से देखा ,उसका पूरा मुहं सूज रहा था ,उसकी बाहों और गर्दन पर भी लाल नीले निशान साफ़ दिखाई दे रहे थे । ''आज फिर अपने आदमी से पिट कर आई है ''?उन निशानों को देखते हुए मीना ने पूछा ,परन्तु सोनू ने कोई उत्तर नही दिया ,नजरें…
ContinueAdded by Rekha Joshi on March 1, 2013 at 3:00pm — 15 Comments
चला जा रहा हूँ इस निर्जन पथ पर
अनजानी डगर है मंजिल अनजान
फिर भी मै उस ओर पग बढ़ा रहा हूँ
...........................................
आँधियों के थपेड़ो ने डराया मुझको
गरजते बादलो ने दहलाया दिल को
फिर भी मै उस ओर पग बढ़ा रहा हूँ
..........................................
भटक रहा कब से पथरीली राहों पर
पथिक हूँ अनजान कंटीली राहों का
फिर भी मै उस ओर पग बढ़ा रहा हूँ
............................................
आसन नही चलना हो कर जख्मी…
Added by Rekha Joshi on February 23, 2013 at 3:20pm — 7 Comments
प्रियतम मेरे
Added by Rekha Joshi on February 16, 2013 at 11:30pm — 21 Comments
चमक रही
सूरज की तरह
पीली सरसों
...............
बिखर गई
खुशिया सब ओर
आया बसंत
................
लाल गुलाबी
रंग बिरंगे फूल
लाया बसंत
.................
बगिया मेरी
महक उठी आज
आया बसंत
..............
नमन तुझे
दो मुझे वरदान
माता सरस्वती
मौलिक और अप्रकाशित रचना
Added by Rekha Joshi on February 12, 2013 at 4:43pm — 9 Comments
Added by Rekha Joshi on October 17, 2012 at 11:57am — 7 Comments
अपने नाम को सार्थक करती हुई कजरारे नयनों वाली सुनयना अपनी प्यारी बहन आरती से बहुत प्यार करती थी |किसी हादसे में आरती के नयनों की ज्योति चली गई थी लेकिन सुनयना ने जिंदगी में उसको कभी भी आँखों की कमी महसूस नही होने दी | हर वक्त वह साये की तरह उसके साथ रहती,उसकी हर जरूरत को वह अपनी समझ कर पूरा करने की कोशिश में लगी रहती |एक दिन सुनयना को बुखार आ गया जो उतरने का नाम ही नही ले रहा था ,उसके खून की जांच करवाने पर पता चला कि उसे कैंसर है ,उसके मम्मी पापा के पैरों तले तो जमीन ही खिसक गई ,लेकिन सुनयना…
ContinueAdded by Rekha Joshi on October 5, 2012 at 1:13pm — 10 Comments
जान अपनी
पहचान अपनी
है हिंदी भाषा
.................
खाते कसम
हिंदी दिवस पर
है अपनाना
.................
हिंदी हमारी
मिले सम्मान इसे
है मातृ भाषा
.................
शान यह है
भारत हमारे की
राष्ट्र की भाषा
.................
मित्र जनों को
हिंदी दिवस पर
मेरी बधाई
Added by Rekha Joshi on September 14, 2012 at 2:35pm — 7 Comments
ये तो नही है
सपनों का भारत
देश ये मेरा
जला असम
कश्मीर में आग
सुलगे देश
आतंकवाद
का भारत देश में
है बोलबाला
भटक रहा
दर दर ईमान
फलता पाप
हुए पराये
हम भारत वासी
देश अपना
कोलगेट पे
मच रहा बवाल
है मुहं काला
ये तो नही है
सपनों का भारत
देश ये मेरा
Added by Rekha Joshi on September 10, 2012 at 8:00pm — 20 Comments
इतने मिले जख्म कि जख्म ही दवा बने
न पाई ख़ुशी में ख़ुशी न रोये गम में हम
दिल और यह दिमाग सब शून्य हो गये
.................................................
है मुहब्बत इक फरेब औ प्यार इक धोखा
साये में है जिसके बस आंसूओं का सौदा
चोट पर चोट दिल पे हम खाते चले गये
................................................
वफा को जो न समझे तुम सनम बेवफा हो
रहें गैरों की बाहों में और सिला दो वफा का
मेरे सपनो की तस्वीर के टुकड़े हुए तुम्ही से …
Added by Rekha Joshi on September 6, 2012 at 5:40pm — 2 Comments
एक सुसज्जित भव्य पंडाल में सेठ धनीराम के बेटे की शादी हो रही थी ,नाच गाने के साथ पंडाल के अंदर अनेक स्वादिष्ट व्यंजन ,अपनी अपनी प्लेट में परोस कर शहर के जाने माने लोग उस लज़ीज़ भोजन का आनंद उठा रहे थे |खाना खाने के उपरान्त वहां अलग अलग स्थानों पर रखे बड़े बड़े टबों में वह लोग अपना बचा खुचा जूठा भोजन प्लेट सहित रख रहे थे ,जिसे वहां के सफाई कर्मचारी उठा कर पंडाल के बाहर रख देते थे |पंडाल के बाहर न जाने कहाँ से मैले कुचैले फटे हुए चीथड़ों में लिपटी एक औरत अपनी गोदी में भूख से…
ContinueAdded by Rekha Joshi on August 24, 2012 at 8:33pm — 4 Comments
सात समुद्र पार कर,
आई पिया के द्वार ,
नव नीले आसमां पर,
झूलते इन्द्रधनुष पे ,
प्राणपिया के अंगना ,
सप्तऋषि के द्वार ,
झंकृत हए सात सुर,
हृदय में नये तराने |
.........................
उतर रहा वह नभ पर ,
सातवें आसमान से ,
लिए रक्तिम लालिमा
सवार सात घोड़ों पर ,
पार सब करता हुआ ,
प्रकाशित हुआ ये जहां
आलोकिक आनंदित
वो आशियाना दीप्त |
...............................
थिरक रही अम्बर में ,
अरुण की ये…
Added by Rekha Joshi on August 22, 2012 at 11:21am — 9 Comments
Added by Rekha Joshi on August 17, 2012 at 9:06pm — No Comments
''
ओ बी ओ के सभी सदस्यों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
दिशा जागो तुमने आज कालेज जाना है न ''जागृति ने अपनी प्यारी बेटी को सुबह सुबह जगाते हुए कहा |दिशा ने नींद में ही आँखे मलते हुए कहा ,''हाँ माँ आज स्वतंत्रता दिवस है , हमे अपने कालेज के ध्वजारोहण समारोह में जाना है और इस राष्टीय पर्व को मनाने के लिए हमने बहुत बढ़िया कार्यक्रम भी तैयार किया हुआ है ,''जल्दी से दिशा ने अपना बिस्तर छोड़ा और कालेज जाने की तैयारी में जुट गई| दिशा को कालेज भेज कर जागृति…
ContinueAdded by Rekha Joshi on August 14, 2012 at 11:00pm — 2 Comments
खामोश हूँ
Added by Rekha Joshi on August 5, 2012 at 1:24pm — 20 Comments
शन्नो की सगी बहन मन्नु लेकिन शक्ल सूरत में जमीन आसमान का अंतर , अपने माता पिता की लाडली शन्नो इतनी सुंदर थी मानो आसमान से कोई परी जमीन पर उतर आई हो ,बेचारी मन्नु को अपने साधारण रंग रूप के कारण सदा अपने माता पिता की उपेक्षा का शिकार होना पड़ता था |शन्नो अपने माँ बाप के लाड और अपनी खूबसूरती के आगे किसी को कुछ समझती ही नही थी |एक दिन दुर्भाग्यवश उनकी माँ बहुत बीमार पड़ गई ,सारा दिन बिस्तर पर ही लेटी रहती थी ,मन्नु ने अपनी माँ की सेवा के साथ साथ घर का बोझ भी अपने कंधों पर ले लिया ,उसकी नकचढ़ी…
ContinueAdded by Rekha Joshi on July 31, 2012 at 11:04pm — 16 Comments
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