मै हूँ धरती
आसमान पे चाँद
साथ साथ है
....................
शीतल तन
लहराती चांदनी
छटा बिखरी
...................
ठंडी हवाएं
जल रहा बदन
तड़पा जाती
.................
स्नेहिल साथ
अंगडाई प्यार की
बहार आई
..................
रात की रानी
दुधिया चांदनी है
महके धरा
अप्रकाशित एवं मौलिक
Comment
आपका हार्दिक धन्यवाद राम जी ,केवल जी ,वंदना जी ,ऐसे ही उत्साह बढाते रहिये ,आभार
आदरणीया रेखा जोशी जी, बहुत सुन्दर! बधाई स्वीकारें
aadarneeyaa rekha ji bahot hi sundar......badhai swikaren
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