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हरे भरे बागों को मिटाया जा रहा है |कविता - अतुकांत |

कागज़ के फूलों को सजाया जा रहा है |
हरे भरे बागों को मिटाया जा रहा है |
क्या होगा हाल उन कश्तियों का ,
जिन्हें सुर्ख रेत पर चलाया जा रहा है | 
कैसे सूखे आँसू  उन ग़मगीन आँखों का  ,
 जिन पर झूठा इल्जाम लगाया जा रहा है |
लम्बे लम्बे फिकरे कसते हैं वो लोग , 
जिनके जीवन साथी को तड़पाया जा रहा है |
हकीकत कुछ , दिखावा कुछ और है ,
कौन जाने किसको सताया जा रहा है |
कैसे जले दीपक जब उसमे तेल ना हो ,
पर अँधेरे में तीर चलाया जा रहा है |
आग लगे कहीं पर धुंआ कहीं उठता,
कहीं  बुझते आग को धधकाया जा रहा है |
चलते चलते थक गये अब ताक़त नहीं ,
पर उनको नौजवां बताया जा रहा है |
रंजीश किसी का निकाले किसी और पर , 
पर मुस्कराकर हाथ मिलाया जा रहा है |
फूलों का हार कैसे पहनाये वर्मा ,

पीछे से पाँव खिसकाया जा रहा है |   

श्याम नारायण वर्मा 
(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 550

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Comment by vijay nikore on August 7, 2013 at 10:23am

आदरणीय श्याम जी:

 

सुन्दर रचना ... भाव अच्छे लगे।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by Vasundhara pandey on August 6, 2013 at 6:25pm

सुन्दर रचना श्याम जी !!

Comment by Shyam Narain Verma on August 6, 2013 at 10:56am
आदरणीय नीरज जी,
प्रणाम 
इस कविता को किसी छंद पर नहीं लिखा हूँ , वैसे हमारी  कोशिश रहती है की कविता अगर छंद पर आधारित हो तो बेहतर रहेगा परन्तु वक़्त की कमी और व्यस्तता के आगे सोचने के लिया मजबूर होना पड़ता है |
सादर |
Comment by अरुन 'अनन्त' on August 5, 2013 at 2:06pm

बेहद सुन्दर अभिव्यक्ति श्याम जी बधाई स्वीकारें आदरणीय राणा सर एवं आदरणीय बृजेश भाई जी की बातों पर ध्यान दें.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 5, 2013 at 12:47am

आदरणीय श्याम नारायण जी, सुंदर रचना पर, हार्दिक बधाई

Comment by बृजेश नीरज on August 4, 2013 at 7:36pm

आदरणीय श्याम नारायण जी बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति! आपको बहुत बधाई इस रचना पर!
एक जिज्ञासा मन में है कि इस कविता को अतुकांत किस आधार पर आपने कहा। अतुकांत का अर्थ है वह कविता जिसकी पंक्तियों में एक जैसा तुकांत न हो अर्थात जो एक जैसे शब्दों या अक्षरों से समाप्त न होती हों। आपकी कविता में ऐसा तो नहीं है। एक भ्रम है लोगों में कि गद्यात्मक पंक्तियों से बनी रचना अतुकांत होती है। आप कृपया इस भ्रम का शिकार न हों।
आशा है आप मेरे कहे को अन्यथा न लेंगे।
सादर!

Comment by MAHIMA SHREE on August 4, 2013 at 2:33pm

बहुत ही बढ़िया आदरणीय ..बिलकुल समसामयिक प्रस्तुति बधाई आपको


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on August 3, 2013 at 10:39pm

सुन्दर अभिव्यक्ति है| व्याकरण सम्बन्धी त्रुटियाँ दूर करें तो और आनंद आयेगा|

कृपया ध्यान दे...

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