For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हम को भी तुमसे प्यार था और बेहिसाब था
था वक़्त आशिकी का दौरे शबाब था

आँखों में शराब जब वक्ते शबाब था
जुल्फे भी उनकी नागिन ऐसा जनाब था

जो तुम खफा हुए तो ज़माना खफा हुआ
हम पर खुदा कसम की कोई अज़ाब था

उसने जब अपने हाथ में मेहदी रचा लिया
सब कुछ मिटा के रख दिया जितना खवाब था

मुझसे बिछड़ के रुख की कशिश को भी खो दिया
चेहरा था पुर कशिश कोई ताज़ा गुलाब था

अलीम के होश उड़ गए देखा जो एक झलक
कयामत वो ढा रहा था और बेहिजाब था
हिजाब- पर्दा
आपकी मोहब्बत दोबारा लिखने के लिए मुझे येह तक फिर लायी आप सब के प्यार इतना मिला की रहा नहीं गया
और आपकी खिदमत के हाज़िर हो गया ...उम्मीद है आप अपनी मोहब्बतों से ऐसे नवाजते रहेंगे इंशाल्लाह -

Views: 406

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Kanchan Pandey on May 28, 2010 at 9:35pm
उसने जब अपने हाथ में मेहदी रचा लिया
सब कुछ मिटा के रख दिया जितना खवाब था

wow the great effort, bahut badhiya Gazal likhey hai Aleem jee, bahut bahut aabhar,
Comment by Rash Bihari Ravi on May 27, 2010 at 5:35pm
अलीम के होश उड़ गए देखा जो एक झलक
कयामत वो ढा रहा था और बेहिजाब था

namaskar bhai jan aap bhi gajab dha rahe ho bahut badhia,

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 26, 2010 at 10:18pm
हम को भी तुमसे प्यार था और बेहिसाब था
था वक़्त आशिकी का दौरे शबाब था

आलीम भाई बहुत बढ़िया ग़ज़ल आपने पेश किया है, धन्यबाद,
Comment by satish mapatpuri on May 26, 2010 at 4:48pm
जो तुम खफा हुए तो ज़माना खफा हुआ
हम पर खुदा कसम की कोई अज़ाब था
मुझसे बिछड़ के रुख की कशिश को भी खो दिया
चेहरा था पुर कशिश कोई ताज़ा गुलाब था
Bahut Khub Aleem Saheb.Pyar Ruth Jata Hai,To Duniya Viran Ho Jati Hai.
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on May 26, 2010 at 9:18am
हम को भी तुमसे प्यार था और बेहिसाब था
था वक़्त आशिकी का दौरे शबाब था\
waah aleem bhai waah........ek baar fir se aapki dhamakadaar gazal aayi hai aur wo bhi aapke janamdin ke mauke par......aapka bahut bahut dhanayabaad...
Comment by Admin on May 26, 2010 at 9:00am
अलीम जी, कल आप का जन्म दिन था और जन्म दिन के सुअवसर पर हम सबको आपने बहुत अच्छी ग़ज़ल से नवाजा है, बहुत बहुत धन्यवाद आपको,
Comment by Biresh kumar on May 25, 2010 at 10:00pm
हम को भी तुमसे प्यार था और बेहिसाब था
था वक़्त आशिकी का दौरे शबाब था
subhanallah
shabab hai .....................abhi bhi

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday
anwar suhail updated their profile
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service