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मंजूर न था .........!

जिंदगी को कुछ यूँ गुज़ारना हमें मंजूर न था
हरने को हम तैयार थे पर जीतना उन्हें मंजूर न था
अजी करते भी तो क्या करते,
की आना उन्हें मंजूर न था इंतज़ार करना हमें मंजूर न था
बस जीते चले गए इसी तरह कुछ क्यूंकि
रोना हमें मंजूर न था,और हसना उन्हें मंजूर न था
हम तो कबसे बैठे ही थे उनका दामन थामने
पर क्या करे की हमारा साथ उन्हें मंजूर न था
मिलने की तो भरपूर छह थी,पर फिर वही किस्मत अपनी
की गिरना हमें मंजूर न था और उठाना उन्हें मंजूर न था
राहे तो हर पल मै दिखलाता रहा पर क्या कीजिएगा
की चलना उन्हें मंजूर न था और रुकना हमें मंजूर न था
सोचे की खुआबो ही में मिल जाये वो क्यूंकि जनाब
याद करना उन्हें मंजूर न था और भूलना हमें मंजूर न था
खैर कोई बात नहीं अपनी-अपनी जिंदगी है सबकी क्यूंकि
साथ रहना उन्हें मंजूर न था और अकेले मरना हमें मंजूर न था
लो अब पूछियेगा की अब भी प्यार करते हो?
क्या करे सरकार फूटी किस्मत है अपनी चुकि
नफरत हम कर नहीं सकते और प्यार करना उन्हें मंजूर न था

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Comment

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Comment by Biresh kumar on June 7, 2010 at 1:05pm
ur comments r very precious for me
thanks to all!!!!!!!!!!!!!!!
Comment by asha pandey ojha on June 7, 2010 at 1:28am
bahut hee khub surat rachna ..नफरत हम कर नहीं सकते और प्यार करना उन्हें मंजूर न थाvery nice
Comment by Amrita Choudhary on May 29, 2010 at 7:33pm
all the wrds are very heart touching of this poem....

Keep writing these kind of poems...
Comment by Biresh kumar on May 29, 2010 at 12:33am
thanks!!!!!!!!
Comment by Admin on May 28, 2010 at 9:39pm
लो अब पूछियेगा की अब भी प्यार करते हो?
क्या करे सरकार फूटी किस्मत है अपनी चुकि
नफरत हम कर नहीं सकते और प्यार करना उन्हें मंजूर न था

जिंदगी को कुछ यूँ गुज़ारना भले आप को मंजूर हो या ना हो पर ये रचना हमे मंजूर है, बढ़िया लिखे है, पर्यास अच्छा है , ऐसे ही लिखते रहिये, धन्यबाद ,
Comment by Kanchan Pandey on May 28, 2010 at 9:29pm
खैर कोई बात नहीं अपनी-अपनी जिंदगी है सबकी क्यूंकि
साथ रहना उन्हें मंजूर न था और अकेले मरना हमें मंजूर न था
Heart touching, bahut hi khubsurat rachna hai Biresh jee, very nice, thanks for this post.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 28, 2010 at 8:38pm
जिंदगी को कुछ यूँ गुज़ारना हमें मंजूर न था,
हारने को हम तैयार थे पर जीतना उन्हें मंजूर न था,

बहुत खूब बिरेश भाई, मारे है छ्क्का आपने , बढ़िया पर्यास किये है, जय हो,
Comment by satish mapatpuri on May 28, 2010 at 2:45pm
खैर कोई बात नहीं अपनी-अपनी जिंदगी है सबकी क्यूंकि
साथ रहना उन्हें मंजूर न था और अकेले मरना हमें मंजूर न था
क्या करे सरकार फूटी किस्मत है अपनी चुकि
नफरत हम कर नहीं सकते और प्यार करना उन्हें मंजूर न था
बिरेश जी, बहुत ही अच्छा प्रयास है. बधाई .
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on May 28, 2010 at 1:31pm
जिंदगी को कुछ यूँ गुज़ारना हमें मंजूर न था
हरने को हम तैयार थे पर जीतना उन्हें मंजूर न था
अजी करते भी तो क्या करते,
की आना उन्हें मंजूर न था इंतज़ार करना हमें मंजूर न था
bahut khoob biresh bhai.....bahut khoob.....dil khush ho gaya aapka ye rachna padh kar......aisehi likhte rahe...

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