For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मैंने ऐसा मंज़र देखा

मैंने ऐसा मंज़र देखा।
बहती आँख समंदर देखा।।

मुझको अपना कहता था जो।
उसके हाथों खंजर देखा।।

मुखड़ा देखा जबसे उनका।
तबसे चाँद न अम्बर देखा।।

शायद कुछ तो दिख ही जाये।
मैंने खुद के अंदर देखा।

दूर दूर तक हरियाली थी।
धरती अब वो बंज़र देखा।।
**********************
राम शिरोमणि पाठक
मौलिक।अप्रकाशित

Views: 764

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on December 28, 2014 at 6:45pm
आदरणीय सौरभ जी आपके सुझाव व् अनुमोदन की सदैव प्रतीक्षा रहती है।।बहुत बहुत आभार।।सादर

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 28, 2014 at 3:16pm

भाई राम शिरोमणि, एक सधा हुआ प्रयास हुआ है. उस पर मिले सुझाव भी सार्थक हैं.
इस ग़ज़ल की विशिष्टता इसकी रवानी और सहज ढंग से तथ्य प्रस्तुतीकरण है. यह आपकी शैली के रूप में विकसित हो तो बहुत ही अच्छा हो. कारण, हमने आपकी ऐसी कुछ और प्रस्तुतियाँ भी देखी हैं. यह अवश्य है कि इसके लिए मात्र शाब्दिक होना ही नहीं शब्दों के अक्षर भार के साथ-साथ तथ्य और कथ्य में भी पकड़ बनानी होगी. वैसे आश्वस्त हूँ कि आप ऐसा कर पायेंगे. इस ओर प्रयासरत रहें.  
शुभेच्छाएँ

Comment by ram shiromani pathak on December 28, 2014 at 3:01pm
अनुराग भाई जी अमूल्य सुझाव के लिए बहुत बहुत आभार आपका।।सादर
Comment by ram shiromani pathak on December 28, 2014 at 3:01pm
भाई मिथिलेश जी अमूल्य सुझाव के लिए बहुत बहुत आभार आपका।।सादर
Comment by Anurag Prateek on December 27, 2014 at 9:09pm

दूर दूर तक हरियाली थी।
 उस धरती को बंज़र देखा- ऐसा करने से  लिंग दोष नहीं रहेगा 

वाह ,वाह, दिली दाद कुबूल फरमायें

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 27, 2014 at 9:07pm

बेहतरीन और सही सुझाव अनुराग जी ... केवल  भी के स्थान पर अब कर दे तो उचित रहेगा क्योकि पहले मिसरे में हरियाली थी तो अब बंजर देखा 

दूर दूर तक हरियाली थी।
धरती को अब  बंज़र देखा

Comment by ram shiromani pathak on December 27, 2014 at 8:04pm
भाई शिज्जू जी बहुत बहुत आभार।।सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 27, 2014 at 6:59pm

आदरणीय राम शिरोमणि जी क्या खूूब रवाँ ग़ज़ल कही है आपने वाह, दिली दाद कुबूल फरमायें

Comment by ram shiromani pathak on December 27, 2014 at 3:27pm
श्याम जी बहुत आभार आपका।।सादर
Comment by Shyam Narain Verma on December 27, 2014 at 2:13pm

बहुत लाजवाब, बधाई , सादर ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो

.तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो जो मुझ में नुमायाँ फ़क़त तू ही तू हो. . ये रौशन ज़मीरी अमल एक…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 171 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थित और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post समय के दोहे -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई श्यामनाराण जी, सादर अभिवादन।दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"वाहहहहहह गुण पर केन्द्रित  उत्तम  दोहावली हुई है आदरणीय लक्ष्मण धामी जी । हार्दिक…"
Tuesday
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
Tuesday
Shyam Narain Verma commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - उस के नाम पे धोखे खाते रहते हो
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Monday
Shyam Narain Verma commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post समय के दोहे -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर और ज्ञान वर्धक प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' shared their blog post on Facebook
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service