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रंग दे मोहे सांवरे रंग दे..

 

रंग दे मोहे सांवरे रंग दे ,
प्रीत के रंग में मोहे रंग दे |
चन्दन संग खुशबु मोहे रंगने आई ,
पी की महक बिन ना कछु भाई |
टेसू गेंदा चाहे मोहे रंगना ,
तेरी छुअन सिवा सब चुभता अंगमा |
जो चाँद भी मोरा बदन भिगोये ,
चांदन से ये तन जल जल जाये |
होरी खेलन जो आई सखियाँ ,
असुअन से भर आई अखियाँ |
सच है ये हैं सारे बहाने ,
मैं भी जानूं तू भी जाने |
मीरा की सी हुई दीवानी ,
प्रेम सिवा कोई रंग न जानी |
अबके फागुन जो रंग चढाऊं ,
तोहरी प्रीत से ही रंगी जाऊं |
रंग दे मोहे सांवरे रंग दे ,
प्रीत के रंग में मोहे रंग दे |

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Comment

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Comment by अमि तेष on March 27, 2011 at 11:14am
thank you didi
Comment by Veerendra Jain on March 26, 2011 at 11:53am
Arun ji..bahut bahut aabhar...
Comment by Veerendra Jain on March 26, 2011 at 11:52am

Waah ..Amitesh ji...bahut khub...

Comment by Abhinav Arun on March 23, 2011 at 2:20pm
bahut sundar rachna achchhe bhaav aur shabd chitr-
चन्दन संग खुशबु मोहे रंगने आई ,
पी की महक बिन ना कछु भाई |
टेसू गेंदा चाहे मोहे रंगना ,
तेरी छुअन सिवा सब चुभता अंगमा |
badhaaee aur shubhkaamnayen |
Comment by अमि तेष on March 22, 2011 at 12:10pm
तुम भी,
न जाने कहाँ से लाये थे
इतना पक्का है, कि छूट नही रहा है,
परसो लगाया था,
अब बर्षो तक नही उतरेगा..
रंग..
प्यार का....

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