For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खारे पानी में भी मिठास होती है .....

दर्द के दरिया में सब कुछ खारा है
तुम ना जानो ...
क्यूंकि ये दर्द तो हमारा है
वो जो परिंदा इसमें डूबा है
इसे तुमने ही वहां उतारा है !

मगर समंदर के खारे पानी में
मछलियाँ ख़ुशी से तैर रही हैं
एक दूजे से खेल रही हैं
दुखी नज़र नहीं आतीं वो
यहाँ से निकलने का कोई
उतावलापन भी नहीं दिखता उन्हें
और अगले पल की फिक्र भी नहीं !

मैं भी तो मछली बन सकता हूँ
मुठ्ठी ढीली छोड़
ग़मों को आज़ाद कर सकता हूँ
और पकड़ सकता हूँ
कुछ छोटी छोटी खुशियाँ
और जी सकता हूँ
इस दर्द के समंदर में
एक मछली की तरहां
सीख ले 'इंतज़ार' इन मछलिओं से
खारे पानी में भी मिठास होती है !!

************************************************

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 539

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on May 7, 2015 at 8:17am

आदरणीय जितेन्द्र पस्टारिया जी बहुत बहुत धन्यवाद पसंदगी के लिये ...सादर 

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on May 7, 2015 at 8:16am

आदरणीय कृष्णा जी हार्दिक आभार प्रोत्साहन हेतु  ...सादर 

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on May 6, 2015 at 8:20am

वाह आदरणीय इन्तजार सर बेहतरीन कविता हुयी है,आपकी सोच का मैं कायल हूँ!नमन!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 5, 2015 at 10:03am

संघर्षमय जीवन में सकारात्मकता ढूढ लाई, आपकी इन सफल पंक्तियों पर ह्रदय से बधाई ,आदरणीय मोहन जी

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on May 5, 2015 at 7:25am

आदरणीय shree suneel जी आप की उपस्थिति और सराहना के लिये आभार ...सादर 

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on May 5, 2015 at 7:24am

आदरणीय Samar kabeer जी तहेदिल से शुक्रिया पसंदगी के लिये ...सादर 

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on May 5, 2015 at 7:22am

आदरणीय Dr. Vijai Shanker जी पसन्दगी के लिये बहुत बहुत धन्यवाद ....मंगलकामनाएँ

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on May 5, 2015 at 7:21am

आदरणीय Nilesh Shevgaonkar जी आपसे सकारात्मक टिप्पणी पा कर बहुत अच्छा लगा ....हार्दिक आभार ...सादर 

Comment by shree suneel on May 5, 2015 at 2:07am
आदरणीय मोहन सेठी जी, सुन्दर संदेश देती प्रस्तुति पर बधाई आपको.
Comment by Samar kabeer on May 4, 2015 at 11:37pm
जनाब मोहन सेठी 'इंतज़ार' जी,आदाब,अल्लाह आपकी तमन्ना पूरी करे,अच्छा लिखते हो भाई,ढेरों बधाई |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service