For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

संत्रास (लघुकथा) : रवि प्रभाकर

ढलती शाम के वक्त खचाखच भरी बस में सेंट की खूशबू में लबालब जैसे ही वह दो लड़कियां चढ़ी तो सभी का ध्यान उनके जिस्म उघाड़ू तंग कपड़ों की ओर स्वत ही खिंचता चला गया । बस की धक्कमपेल का नाजायज़ फायदा उठाते हुए कुछ छिछोरे किस्म के लड़के रह रह कर उन्हे स्पर्श करते हुए बीच बीच में कुछ असभ्य कमेंट भी कर रहे थे परन्तु वो दोनों लड़कियां इन सबसे बेपरवाह आपस में हँस-हँस कर बातें करने में व्यस्त थीं।
‘इधर बैठ जाओ बेटी !’ सीट पर बैठा हुआ एक बुर्जुग बच्चे को सीट से अपनी गोद में बिठा कर थोड़ा एक तरफ सरकता हुआ लड़की से बोला
‘अरे बैठा रह ताऊ ! लगता है बासी कढ़ी में उबाल आ रहा है’ लड़की उपहास करते हुए थोड़ी तेजी से बोली तो बस में सवार सभी यात्री भी उस बुर्जुग पर हंसने लगे और वो बुर्जुग झेंपकर सिर झुकाकर बैठ गया।
अगले स्टाॅप पर दोनों लड़कियां उतर गईं।
‘तूने तो अंकल के साथ बहुत ‘रूड बिहेव’ किया, उसने तो बैठने को सीट ही आॅफर की थी और तुझे ‘बेटी’ भी तो कहा ।’
‘मुझे चिढ़ है ‘बेटी' शब्द से... जिसने मुझे इस धंधे में ढकेला वो भी मुझे ‘बेटी’ ही कहता था। आंखों से अंगारे बरसाती हुयी वो बोली

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 909

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 5, 2016 at 5:50pm

धोका खाये हुए इंसान कितना कडवा बोल देता है | बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय सर इस लाजवाब कथा के लिए |

Comment by Ravi Prabhakar on July 25, 2015 at 2:37pm

रचना पर आपके हस्‍ताक्षर पा रचना कार्य सफल हुआ आदरणीय डॉ. प्राची सिंह जी । सादर आभार

Comment by Ravi Prabhakar on July 25, 2015 at 2:36pm

रचना पर पधारने व अपने अनमोल विचार देने हेतु आदरणीय महर्षि त्रिपाठी, आदरणीय जवाहर सिंह व आदरणीय सीमा सिंह जी आपको ह्दय तल से आभार ।

Comment by Ravi Prabhakar on July 25, 2015 at 2:34pm

आदरणीय राजेश कुमारी जी रचना के मर्म को समझने व समीक्षा हेतु आपका हार्दिक आभार

Comment by Ravi Prabhakar on July 25, 2015 at 2:33pm

आदरणीय कांता रॉय जी कथा को अपना बहुमूल्‍य समय देने व इसकी इतनी बारीकबानी से समीक्षा देने हेतु आपका सादर आभार ।

Comment by Ravi Prabhakar on July 25, 2015 at 2:32pm

आदरणीय कांता रॉय जी कथा को अपना बहुमूल्‍य समय देने व इसकी इतनी बारीकबानी से समीक्षा देने हेतु आपका सादर आभार ।

Comment by Ravi Prabhakar on July 25, 2015 at 2:30pm

आदरणीय वीर मेहता जी व आदरणीय शशि बांसल जी आप तुल्‍य प्रतिभाशाली कथाकारों की साकारात्‍मक प्रतिक्रिया रूपी आशीर्वाद सदैव उर्जावान करता है। सादर आभार

Comment by Ravi Prabhakar on July 25, 2015 at 2:28pm

रचना पर आपकी उपस्‍थिती सदैव गौरवांन्‍ित करती है आदरणीय सौरभ पांडे भाई जी । आपकी प्रेरणा ने सदैव अच्‍छा लिखना को प्रेरित किया है भाई जी । आपके स्‍नेह व ओबीओ के मंच का सदैव ऋणी रहूंगा । सादर

Comment by Ravi Prabhakar on July 25, 2015 at 2:25pm

रचना को अपना कीमती समय देने हेतु आदरणीय विनय कुमार सिंह जी, आदरणीय ओमप्रगास क्षत्रिय जी व आदरणीय तेजवीर सिंह जी का हार्दिक आभार ।

Comment by Ravi Prabhakar on July 25, 2015 at 2:23pm

लघुकथा पर आपकी उपस्‍िथती व साकारात्‍मक टिप्‍पणी के लिए बहुत बहुत धन्‍यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Oct 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service