For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रोज की तरह आज भी सुबह सुबह हो-हल्ला सुन कर में उठ गयाI  घड़ी की तरफ देखा तो चार बज रहे थेI घर के सभी सदस्य अपने दोनों हाथोँ में पानी के बर्तन लेकर तैयार खड़े थेI और मेरे लिए भी पानी के बर्तन तैयार थेI हम सब लोग पानी भरने के लिए निकल पड़ेI 3 घंटे बाद पसीने से लथपथ दो दो बाल्टी पानी मिला तो सुकून की साँस लीI  लाइन में खड़े खड़े पाँव अकड़ गए थे, इसलिए थोड़ा बैठकर राहत की साँस ली, फिर अपने घर की तरफ चल पड़ा, रास्ते में चौबे जी के घर के आगे पड़े अख़बार की हेडलाइन "मंगलग्रह पर मिला पानी" पढ़कर ख़ुशी से बाँछे खिल गईI और मन ही मन मंगलग्रह पर जाने की प्लानिंग करने लगाI

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 506

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by harikishan ojha on October 10, 2015 at 2:42pm

गिरिराज जी और प्रतिभा पांडे जी आप का बहुत बहुत धन्यवाद  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 3, 2015 at 1:08pm

सुन्दर कटाक्ष ! हार्दिक बधाई आपको ।

Comment by pratibha pande on October 3, 2015 at 12:51pm

सीधी ,सरल ,सार्थक और कसी हुई रचना के लिए बधाई आदरणीय 

Comment by harikishan ojha on October 2, 2015 at 11:11am

आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी आप का बहुत बहुत धन्यवाद,

Comment by harikishan ojha on October 2, 2015 at 11:10am

आदरणीय सुशील जी आप का बहुत बहुत धन्यवाद,

Comment by harikishan ojha on October 2, 2015 at 11:04am

श्री राजेश कुमारी जी आप का बहुत बहुत धन्यवाद


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 2, 2015 at 8:52am

बहुत  जबरदस्त कटाक्ष ....धरती का पानी तो खत्म हो गया चलो मंगल गृह ही चलें ...इस सुन्दर सशक्त लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई .

Comment by Sushil Sarna on October 1, 2015 at 4:47pm

वर्तमान की जरूरत पर सुंदर कटाक्ष करती लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय।

Comment by Shyam Narain Verma on October 1, 2015 at 3:58pm
सुन्दर लघुकथा के लिये आपको बधाई ॥

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Monday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service