For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आकाश ,बादल, चाँद, सितारे
लगते है कितने प्यारे प्यारे
बच्चों की कहानियों में आते
युवा के मन को यह है भाते
सुबह और शाम
दिन और रात
चार पहर की चार बाते
चार बातों की चार सौगातें
पेड़ पौधों की अपनी महफ़िल
परिंदों के अपने कलरव
रेंगते कीड़ों की अपनी वाणी
धरा की बढती खूबसूरती
आकाश को महकाती
क्षितिज देखता चहु और से
नदी सागर का बहना
चट्टानों से बहते झरनें
चमकते पत्थर
सूखे पठार
चुभते काँटे
मिट्ठी मीट्टी की मिठास
घोलती रहती
घुलती रहती
निरंतर अपनी अपनी जगह ।
बनता है कैसा
एक खूबसूरत जहां

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 562

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 25, 2016 at 4:02pm
धन्यवाद Dr Ashutosh Mishra ji
Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 25, 2016 at 3:43pm

आदरणीया कल्पना जी प्रकृति के सौंदर्य को चित्रित करती इस रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 25, 2016 at 10:22am
धन्यवाद आदरणीय ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 25, 2016 at 9:38am

आदरनीया कल्पना जी , सब कुछ मिला के ही जहाँ सुन्दर बनता है , हर रंग ज़रूरी है । बहुत खूब , हार्दिक बधाइयाँ रचना के लिये ।

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 23, 2016 at 6:02pm
धन्यवाद आदरणीय जवाहर लाल जी
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 23, 2016 at 6:02pm
धन्यवाद आदरणीय सुरेश कुमार जी ।
Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 23, 2016 at 5:51pm

जी आदरणीया कल्पना भट्ट जी, प्रकृति कितनी सुन्दर है! और सुन्दर है यह जहाँ हर दृष्टिकोण से बहुत ही सुन्दर वर्णन! सादर!

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on August 23, 2016 at 10:55am
आदरणीया कल्पना भट्ट जी बहुत ही सुन्दर चित्रण किया है खूबसूरत जहां का।बधाई प्रेषित है ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से मश्कूर हूँ।"
12 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  दिनेश जी,  बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर बागपतवी जी,  उम्दा ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी,  बेहतरीन ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। मैं हूं बोतल…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  जी, बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। गुणिजनों की इस्लाह तो…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन प्रकाश  जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया रिचा जी,  अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए।…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, बहुत शानदार ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
6 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा जी, बहुत धन्यवाद। "
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी, बहुत धन्यवाद। "
7 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service