For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

छंद-आल्हा/वीर, बृज मिश्रित
-------------------------
जय जय जय भगवती भवानी
कृपा कलम पर रखियो मात
आज पुनः लिख्यौ है आल्हा
जामै चाहूँ तेरौ साथ
महावीर बजरंगी बाला
इष्टदेव मन ध्यान लगाय
निज विचार गृहस्थ पर मेरे
आल्हा में भर रह्यो सुनाय
नर नारी दोनों ही साधक
सर्जन पालन जिनकौ काम
एकम एक बनौ मिल गृहस्थ
कठिन साधना बारौ नाम
बात कहूँ गृहस्थ की पहली
रखो बंधुवर जाकौ ध्यान
नहीं बुराई करौ नारि की
जातै जुडौ आपकौ मान
एक अकेले में चल जावै
भरी भीर में दीजौ ध्यान
नारि सोचती है कछु ज्यादा
करियौ वही करे गुणगान
बात दूसरी मर्यादा की
भूले ते मत हाथ उठाय
नैनन कौ डर नैनन में हो
नैनन ते दीजौं समझाय
हँसी मजाक घड़ी भर करियों
ज्यादा करी करै नुक़सान
नारि बदै अरु नैक सुनें ना
बाद लगें संकट में प्रान
तीजी बात सोच आधारित
करो बात पे जरा विचार
बिना कलह लगता है सुंदर
कच्चे, पक्के घर कौ द्वार
माँग नारि की बिन सोचे ही
पूर्ण करो मत बिल्कुल मीत
जुड़ा हुआ है कल इससे ही
और छिपी इसमें ही जीत
तीन माँग हों यदि नारी की
सोच समझ कर पहली मान
दूजी टाल आजकल करके
तीजी कर न, भले धनवान
चौथी बात कमाई वाली
कितनी होती मासिक आय
भूले ते मत भेद बताओ
लेना मित्रो आय छुपाय
खर्चा पानी घर कौ सबरौ
करनौ कितनौ पति कौ काम
भेद खुलत पानी ज्यौ जावै
चाहे पास लाख हौ दाम
क्रमशः जारी.... अगले अंक में
नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष

Views: 377

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 25, 2018 at 2:17pm

आ. नवीन जी, सुंदर रचना हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Samar kabeer on November 19, 2018 at 2:23pm

जनाब नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष जी आदाब,ओबीओ पटल पर पहली बार आपकी रचना से रूबरू हो रहा हूँ ।

आल्हा वीर छन्द पर अच्छी रचना हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीया ऋचा जी, सादर नमस्कार! तरही मिसरे पर बहुत अच्छी ग़ज़ल कही आपने। मुशायरे में सहभागिता हेतु…"
4 minutes ago
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, सादर नमस्कार! तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल हुई है। हार्दिक बधाई स्वीकार करें।…"
11 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय मेहता जी नमस्कार। ग़ज़ल तक आने व हौसला बढ़ाने हेतु आभार। इस्लाह उचित है। किंतु शे'र का…"
17 minutes ago
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी, सादर अभिवादन! उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभारी हूँ।"
19 minutes ago
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, सादर नमस्कार! तरही मिसरे पर बढ़िया ग़ज़ल कही आपने। हार्दिक बधाई स्वीकार करें।…"
21 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय चेतन जी, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ। बधाई स्वीकार करें।"
25 minutes ago
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी, सादर नमस्कार! तरही मिसरे पर ग़ज़ल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक…"
26 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी, अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें।"
30 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय आज़ी जी, अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें।"
31 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दयाराम जी, अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें।"
32 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी, अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें।"
33 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय लक्ष्मण जी, अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें।"
34 minutes ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service