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हिन्दी सी भला मिठास कहाँ?

कोई भी भाषा हो , लेकिन

हिन्दी सी भला मिठास कहाँ ?

जो दिल से भाव निकलते हैं

वह कोमल सा अहसास कहाँ ?

है नर्तन मधुर तरंगों सा

अपना ' प्रणाम ' अन्यान्य कहाँ ?

जिससे झंकृत हृद - तार मृदुल

वह सुन्दरता , उल्लास कहाँ

जब बच्चा ' अम्मा , कहकर के

जा , माँ के गले लिपटता है

इस नैसर्गिक उद्बोधन में

अद्भुत आनन्द , हुलास कहाँ ?

कोई भी भाषा हो , लेकिन

हिन्दी सी भला मिठास कहाँ ?

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by Usha Awasthi on April 24, 2020 at 12:03am

माफ करें , आपकी इस टिप्पणी को मैं देख नहीं पाई थी ।

हार्दिक धन्यवाद आपको

Comment by Samar kabeer on March 28, 2020 at 10:52pm

जी,आपसे सहमत हूँ,मैं भी इस समस्या से बहुत दुखी हूँ ।

Comment by Usha Awasthi on March 28, 2020 at 10:43pm

आदाब,मेरा इशारा देश की किसी भाषा की ओर नहीं है ।अग्रेंजी भाषा का प्रसार जिस तरह हमारे देश में बढ़ा है ,देश में बोली जाने वाली सभी भाषाओं पर खतरा मंडरा रहा है।निश्चय ही इसका प्रमुख कारण रोजगार है।अन्य कारण भी हैं।हमारे बहुत से बच्चे अपनी मातृ भाषा ही भूलते जा रहे हैं।जो बात अस्पष्ट रह गई थी,उसओर ध्यान दिलाने हेतु धन्यवाद।

Comment by Samar kabeer on March 28, 2020 at 8:01pm

मुहतरमा ऊषा अवस्थी जी आदाब,हिन्दी भाषा के प्रति आपकी कविता अच्छी है,मुझे तो हमारे देश में बोली जाने वाली हर भाषा बहुत मीठी लगती है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Usha Awasthi on March 28, 2020 at 2:22pm

किसी भी भाषा को सीखना बुरा नहीं है।किन्तु अपने ही देशवासियों का हिन्दी को छोड़ अन्य भाषा के प्रति अत्यधिक लगाव देख कर कष्ट होता है। निश्चित ही इसके कुछ कारण अवश्य हैं , जिन्हे दूर किया जाना चाहिए।

  • किन्तु इतनी खूबसूरती से भावो को व्यक्त करने वाली अपनी भाषा की अवहेलना असहनीय है।  हार्दिक आभार आपका

Comment by Dr. Geeta Chaudhary on March 28, 2020 at 1:29pm

आदरणीय उषा मैडम, अदभुत मीठें शब्दों  में हिंदी की मिठास को व्य करती कविता, बहुत अच्छी लगी। हार्दिक बधाई आपको।

Comment by Usha Awasthi on March 27, 2020 at 5:38pm

हार्दिक आभार आपका । वाक्य के अन्तिम शब्दों 'भाषा शैली . . ' समझ नहीं पा रही हूँ। धन्यवाद।

Comment by दिनेश कुमार शुक्ल on March 27, 2020 at 2:27pm
हिन्दी जैसी मिठास कहाँ जहाँ मिठास होती है वही प्रकृति होती है जहाँ ये दोनो हो वहां रस, छन्द एवं अलंकरण स्वयं भाषा शैली प्रस्तुत हो है
Comment by Usha Awasthi on March 27, 2020 at 1:55pm

इस खूबसूरत टिप्पणी के लिए धन्यवाद

Comment by Khan Hasnain Aaqib on March 27, 2020 at 1:23pm
बहोत खूब उषा जी.. हिंदी सी मिठास कहाँ..
पूरी कविता एहसास को अधोरेखित करती है

कृपया ध्यान दे...

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