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सम्राट अशोक महान

चन्द्रगुप्त का पौत्र, जो बिन्दुसार का पुत्र था

बौद्ध धर्म का बना अनुयायी

जो धर्म-सहिष्णु सम्राट हुआ||

 

माता जिसकी धर्मा कहलाती, सुशीम नाम का भाई था

इष्ट देव शिव-शंकर पहले

ज्ञान-विज्ञान का बड़ा जिज्ञासु हुआ||

 

परोपकार की भावना जिसमें, उत्सुक जो अभिलाषी था

महेंद्र-संघमित्रा का पिता न्यारा

सदा पुत्र-पुत्री का साथ मिला||

 

बेहतरीन अर्थव्यवस्था ग़ज़ब सुशासन, जिसका कल्याणकारी द्रष्टिकोण था

देवताओं का प्रिय प्रजा का रक्षक

जिसका देवानांप्रिय भी नाम हुआ||

 

प्रजावत्सल वह कर्तव्यपरायण, भू-भाग का बड़े सम्राट था

धर्मग्रंथो का जिज्ञासु

जिसको ज्ञान की सत्यता का भान हुआ||

 

व्यापारियों का संरक्षक, राज में जिसके उन्नत विकसित समाज था

उत्तराधिकारी की लड़ाई जो जीता

जो कलिंग विजयी सम्राट हुआ||

 

अपार शृद्धा हृदय में रखता, प्रतिरूप जो अहिंसा-दया-धर्म-क्षमा था

राष्ट्रीय एकता का पोषक जो

हमेशा शांति-उदारता का स्वरूप हुआ||

 

जीव हत्या का बड़ा विरोधी, अद्वितीय कुशल प्रशासक था

स्तूप-भवनों का वह निर्माता

जो दयालु-अहिंसावादी सम्राट हुआ||

 

लिंग-भेद या ऊँच-नीच का ख़्याल न मन में, ऐसा मानवतावादी वह सम्राट था

मिस्र-सीरिया तक सम्बंध जिसके

चालुक्य-चोल-पाण्डेय तक रिश्तेदार हुआ||

 

रौद्र रूप जो धारण करता, कलिंग युद्ध में बना महाकाल था

युद्ध करने जो भी आया

उसका क्षणभर में विनाश हुआ||

 

आकर्षित हुआ बौद्ध धर्म की ओर वो, हुआ पुनर्जन्म का उसे अहसास था

सभी धर्मों का समावेश राष्ट्र में

जो रक्षक नैतिकता-सदाचार हुआ||

 

पशु हत्या निषेध जहाँ पर, उद्देश्य प्राणी को न हानि पहुँचाना था

वृद्धजनों की सेवा-सुश्रुषा

रखता मात-पिता संग गुरुजनों के प्रति आदरभाव था||

 

आत्म-निरीक्षण बहुत ज़रूरी, दिया उपदेश यही सम्राट था

नियम उचित व्यवहार का लागू करता

चाहे किसी वर्ग का प्राणी हुआ||

 

क्रोध-निष्ठुरता-अभिमान-ईर्ष्या, होता काम यह चांडाल का

धार्मिक भावना आहात करो न

मूल उद्देश्य ये ज्ञान हुआ||

 

धर्म महामात्रों की नियुक्ति करता, कार्य जिनका बौद्ध धर्म प्रचार-प्रसार था

लिपिबद्ध करना धार्मिक शिक्षा

मार्ग जो आत्म-साक्षात्कार हुआ||

 

भेरी घोष था बंद कराया, चहुँ ओर धर्म-घोष का शोर था

धर्म-संदेश को प्रसारित करता

जिसका धर्म-श्रावण नाम हुआ||

 

विदेशियों से न हारने वाला, इतिहास का ऐसा सम्राट था

जीत लिए जिसने देश-विदेश भी

भारत में महान अशोक सम्राट एक ऐसा हुआ||

मौलिक व अप्रकाशित रचना 

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Comment by नाथ सोनांचली on April 4, 2023 at 1:59pm

आद0 फूल सिंह जी सादर अभिवादन। बहुत बेहतरीन सृजन सम्राट अशोक महान पर। आपकी यह एक कालजयी सृजन ह्। हृदयतल से बधाई निवेदित करता हूँ। अगर सम्भव हो तो मुझे 9532855181 पर जुड़ सकते हैं।

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