For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको !

सादर अभिवादन !!

 

’चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का यह एक सौ चौवालिसवाँ आयोजन है.   

 

पुनः इस बार का छंद है - कुकुभ छंद  

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ - 

22 अप्रैल 2023 दिन शनिवार से 

23 अप्रैल 2023 दिन रविवार तक

हम आयोजन के अंतर्गत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, दिये गये चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं.  

कुकुभ छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, कई-एक छंद के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

*********************************

आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ - 

22 अप्रैल 2023 दिन शनिवार से 23 अप्रैल 2023 दिन रविवार तक  रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करें.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें. 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. 
  8. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  9. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...


"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम 

Views: 682

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

स्वागत है आप सभी का इस आयोजन में।

कुकुभ छंद ः

टूट ..रहीं ..हैं ..जंजीरे ...या, शुरु ..हो ..गई.. है ...गुलामी ।
है विषय संधान का यह अब, कि पृष्ठभूमि है मियामी।।
नारी मुक्ति का सिलसिला भी, आ पहुँचा गली हमारी ।
सर की मालिश करता भैया, भौजी ..बैठी ..पैर ..पसारी ।।

नौकर चाकर छुप- छुप हँसते, पत्नि अभी पति धमकाती ।
दस ..बजते ..सोकर.. उठती है, देर.. रात ..वह.. घर..आती।।
बच्चे ..भेज ...दिये.. हैं..बोर्डिंग, सारा दिन घर मस्ताती ।
फोन कर मियाँ जी को वह तो, रोज ..बाज़ार ..बुलवाती।।

शापिंग उसका शौक़ पुराना, नई नई ड्रैस सिलवाती ।
बर्थ.. डे ..पर ज्वैलरी खासी, ज़रुर वह खरीदवाती ।।
नयी हवा ..चली नगर ऐसी, पति ..परेशान बेचारा ।
मारा-मारा फिरता धन को, खाली हो या नाकारा ।।

ओवरटाइम आफिस करता, पोर - पोर ..दर्द ....रुलाता ।
फिर भी हँसता-गाता आता, द्वार पत्नि बाँह झुलाता ।।
चलो ..डिनर ..करते हैं बाहर, आँखों अटका.. मुस्काता ।
फिर रानी जी खुश हो जाती, पति फ्रेश हो चला आता ।।

मौलिक व अप्रकाशित

आ॰ चेतन जी, अच्छे छंद हुए हैं। समाज में हो रहे परिवर्तनों को आत्मसात करना आवश्यक है। हास्य के पुट में लिखी है तो कविता अच्छी हुई। गांभीर्य में इस तरह की बातें बेमानी सी लगती हैं। हालाँकि यह भी सत्य है कि स्त्री-पुरुष दोनों को मितव्ययी और समझदारी से घर चलाने का प्रयास करना चाहिये।

भाई की नसीहत


चली शहर में शिक्षा लेने, पढ़ी गाँव में इक छोरी
सोच रही है धन वो पा लूँ, कभी नहीं जो हो चोरी
लेकिन बस का समय हो रहा, बाक़ी बाल बनाने हैं
कॉलिज वाले सर देरी के, सुनते नहीं बहाने हैं

भाई बोला आजा बहना, मैं तेरी मदद करूँगा
तुझे जहाँ तक जाना है जा, मैं सब गृहकार्य करूँगा
तेरी अब की मुश्किल को भी, यूँ चुटकी में सुलझाऊँ
आकर मेरे बैठ सामने, मैं तेरे बाल बनाऊँ

देख रहा हूँ सर में तेरे, जूँएं भी भरी पड़ी हैं
मरजानी कुछ ध्यान किया कर, लीखें भी धड़ी-धड़ी हैं
खुजली होगी दिक्कत होगी, होगी किस तरह पढ़ाई
जीत सकेगी ऐसे कैसे, शिक्षा की बहन लड़ाई

बातें तेरी ही घर-घर में, गाँव-गाँव तेरे चर्चे
माँ-बापू को चिंता है ये, कैसे निपटेंगें खर्चे
लेकिन तुझको बिन चिंता के, सँवर-सम्भल कर रहना है
आदर्श बने तू हर कन्या की, ऐसा तुझको बनना है

#मौलिक एवम् अप्रकाशित

आदरणीय अजय भाईजी

भाई बहन के पवित्र रिश्ते को लेकर कुकुभ छंद में अच्छी रचना हुई है, मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें।

दूसरे छंद में करुँगा करुँगा की तुकांतता ... ? 

चौथे छंद की अंतिम पंक्ति से तू  शब्द  हटा ये

शीर्ष में छंद  का नाम [ कुकुभ ] देना आवश्यक है

बहुत आभार भाई अखिलेश जी। आपके द्वारा इंगित बिंदुओं से सहमत हूँ।

//शीर्ष में छंद  का नाम [ कुकुभ ] देना आवश्यक है// मेरे संज्ञान में ऐसा नहीं है। यद्यपि आपकी राय उत्तम है।

तुम ही माता तात तुम्हीं हो, कहती भगिनी भैया से।
नारी समता  नहीं  कहूँगी, काम  करो बस मैया से।।
मात पिता के बाद  तुम्हीं ने, बड़े  लाड़ से है पाला।
नित्य सँवारी मेरी  वेणी, और  दिया मुझे निवाला।।
*
आज भले ही युवा हो गयी, पर तुमको तो गुड़िया हूँ।
बेटी  जैसा  रखा  मुझे  बस, कहने  को  यूँ बहना हूँ।।
जूँएँ  ढूँढी  लीख  निकाली,  हर  मैले  कपड़े  धोये।
मुझको सुख देने को केवल, हैं कितने सुमन पिरोये।।
*
मौलिक/अप्रकाशित

आदरणीय लक्ष्मण भाईजी 

प्रयास सराहनीय है बधाई। लेकिन इस बार ऐसी गलतियाँ हुई हैं कि लगता ही नहीं है कि यह आपने की है।

एक बार ध्यान से पढ़कर संशोधित छंद पुनः पोस्ट कर दीजिए।

शीर्ष में छंद  का नाम [ कुकुभ ] देना आवश्यक है

भाई लक्ष्मण जी एक अच्छी कविता हुई। चित्र और कुकुभ छंद के आयामों से अच्छे से निभाया आपने।

कुकुभ छंद 

+++++++++

महँगाई की है मार बड़ी, पति पत्नी साथ कमाते।

है सुखी वही परिवार जहाँ, मिलकर कर्तव्य निभाते॥

फुरसत है छुट्टी के दिन भी, काम नया कुछ कर जाते।

है दो का ही परिवार मगर, हर पल आनंद उठाते॥

 

है बोझ काम का घर बाहर, आराम एक दिन पाते।

इक दूजे की सेवा करते, सभी समस्या सुलझाते॥

सौम्य चंचला कहती सिर में, होती नित्य अधिक पीड़ा।

ढूंढ रहा बालों में प्रियतम, दुष्ट दिमागी लघु कीड़ा॥  

 

 ......................... 

मौलिक अप्रकाशित

आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। पदत्त चित्रानुरूप सुन्दर छन्द हुए हैं। बहुत बहुत हार्दिक बधाई।

आदरणीय लक्ष्मण् भाईजी

हार्दिक धन्यवाद आभार आपका 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
53 minutes ago
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
19 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
19 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन।सुंदर और समसामयिक लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। प्रदत्त विषय को एक दिलचस्प आयाम देते हुए इस उम्दा कथानक और रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदरणीय शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। शीर्षक लिखना भूल गया जिसके लिए…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"समय _____ "बिना हाथ पाँव धोये अन्दर मत आना। पानी साबुन सब रखा है बाहर और फिर नहा…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक स्वागत मुहतरम जनाब दयाराम मेठानी साहिब। विषयांतर्गत बढ़िया उम्दा और भावपूर्ण प्रेरक रचना।…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
" जय/पराजय कालेज के वार्षिकोत्सव के अवसर पर अनेक खेलकूद प्रतियोगिताओं एवं साहित्यिक…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हाइमन कमीशन (लघुकथा) : रात का समय था। हर रोज़ की तरह प्रतिज्ञा अपने कमरे की एक दीवार के…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service