आदरणीय काव्य-रसिको !
सादर अभिवादन !!
’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ उनचासवाँ आयोजन है.
इस बार के आयोजन के लिए दो छंद लिये गये हैं - दोहा छंद या / और कुण्डलिया छंद
आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ -
23 सितंबर’ 23 दिन शनिवार से 24 सितंबर’ 23 दिन रविवार तक
हम आयोजन के अंतर्गत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, दिये गये चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.
केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं.
दोहा छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें
कुण्डलिया छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें
जैसा कि विदित है, कई-एक छंद के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती हैं.
*********************************
आयोजन सम्बन्धी नोट :
फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो आयोजन हेतु निर्धारित तिथियों में रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.
अति आवश्यक सूचना :
छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...
विशेष : यदि आप अभी तक www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.
मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
Tags:
Replies are closed for this discussion.
आ. भाई सौरभ जी सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।
आपके सुझाव उत्तम हैं। पुनः आभार
उम्मीदों को पाल कर, पहुँचे थे कॉलेज,
सोचा था होगी यहाँ, वंडरफुल नॉलेज।
वंडरफ़ुल नॉलेज, मगर क्या हुआ झमेला,
मिल जाये इक जॉब, लगा इस कारण मेला।
दे न सके ये सोच, उद्यमी बन सकते हो,
किया मूल से नष्ट, हमारी उम्मीदों को
किया मूल से नष्ट तो, आया निम्न प्रभाव,
मिट गई उद्यमशीलता, कौशल बना अभाव,
कौशल बना अभाव, नौकरी बिकने आती,
रख कर फ़ैंसी नाम, लिए बच्चों को जाती
भरवाते हैं बॉण्ड, जॉब कह कर बाँध लिया
कुछ करने आई-वॉश, जिन्होंने बस नाम किया
#मौलिक व अप्रकाशित
आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को उद्घाटित करती सार्थक रचना हुई है। हार्दिक बधाई।
आदरणीय अजय जी, आपने आज की शिक्षा-पद्धति के उथलेपन को शाब्दिक किया है। हार्दिक बधाई।
एक बात,
कुण्डलिया छंद के रोले वाले भाग का पदांत रगणात्मक होना नेष्ट है। पदांत को समकल का ही विन्यास देने का प्रयास करें। इस कारण, कुण्डलिया का प्रारंभ त्रिकल से करना सचेत निर्वहन की अपेक्षा करता है।
शुभातिशुभ
कुण्डलिया छंदः
आई घड़ी.. चुनाव की, जनता आती याद ।
कमियाँ जो शासन रहीं, पूरी हों फरियाद ।।
पूरी हों... फरियाद, खेलते रहो... युवाओ ।
बिना छाछ औ दूध, रोटी रहित घी खाओ ।।
खूब करो तुम होड़, पानी पियो.... जा राई ।
भूख बढ़ेगी..... पेट., घड़ी भारत की आई ।।
चाहत रोजगार अगर, करो नौकरी .....पार्थ ।
लगा रहे... मेले हमीं, समझो तुम अभिधार्थ।।
समझो तुम अभिधार्थ, खुले मन जाओ खेलो ।
एशियाड हैं...... चीन, खूब प्रतिद्वन्दी पेलो ।।
कह चेतन कविराय, मत करो मन को आहत ।
नाम लिखाओ जल्द, युवा हो...... पूरी चाहत ।।
मौलिक व अप्रकाशित
आदरणीय चेतन जी,
कुण्डलिया छंद पर आपका प्रयास आश्वस्त कर रहा है।
फिलहाल, और प्रयास की आवश्यकता है। साथ ही, संप्रेषण पर काम किया जाना अपेक्षित है। किंतु, आपकी लगन मुग्ध कर रही है।
सादर
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |