For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुफरद बह्रों से बनने वाली मुजाहिफ बह्रें

इस बार हम बात करते हैं मुफरद बह्रों से बनने वाली मुजाहिफ बह्रों की। इन्‍हें देखकर तो अनुमान हो ही जायेगा कि बह्रों का समुद्र कितना बड़ा है। यह जानकारी संदर्भ के काम की है याद करने के काम की नहीं। उपयोग करते करते ये बह्रें स्‍वत: याद होने लगेंगी। यहॉं इन्‍हें देने का सीमित उद्देश्‍य यह है जब कभी किसी बह्र विशेष का कोई संदर्भ आये तो आपके पास वह संदर्भ के रूप में उपलब्‍ध रहे। और कहीं आपने इन सब पर एक एक ग़ज़ल तो क्‍या शेर भी कह लिया तो स्‍वयं को धन्‍य मानें।

बह्रे मुतकारिब से बनने वाली मुजाहिफ बह्रें

मुतकारिब मुसम्मन् सालिम

फऊलुन् x 4 122 122 122 122

फऊलुन्

फऊलुन्

फऊलुन्

फऊलुन्

122

122

122

122

मुतकारिब मुसम्मन् महजूफ

122 122 122 12

फऊलुन्

फऊलुन्

फऊलुन्

मफा

122

122

122

12

मुतकारिब मुसम्मन् अस्लम रूप-1

22 122 22 122

फैलुन्

फऊलुन्

फैलुन्

फऊलुन्

22

122

22

122

मुतकारिब मुसम्मन् अस्लम महजूफ

2212 212 122

मुस्तफ्यलुन्

फायलुन्

फऊलुन्

2212

212

122

मुतकारिब मुसम्मन् मक्बूज रूप-1

121 121 121 121

फऊलु

फऊलु

फऊलु

फऊलु

121

121

121

121

मुतकारिब मुसम्मन् मक्बूज महजूफ

121 121 121 12

फऊलु

फऊलु

फऊलु

मफा

121

121

121

12

मुतकारिब मुसम्मन् अस्लम मक्बूज

22 122 121 122

फैलुन्

फऊलुन्

फऊलु

फऊलुन्

22

122

121

122

मुतकारिब मुसम्मन् मक्बूज अस्लम

121 22 121 22

फऊलु

फैलुन्

फऊलु

फैलुन्

121

22

121

22

मुतकारिब मुसम्मन् मक्बूज रूप-2

121 122 121 122

फऊलु

फऊलुन्

फऊलु

फऊलुन्

121

122

121

122

मुतकारिब मुसम्मन् अस्लम रूप-2

122 122 22 122

फऊलुन्

फऊलुन्

फैलुन्

फऊलुन्

122

122

22

122

मुतकारिब मुसम्मन् महजूफ मुदायफ/ मक्बूज अस्लम मुदायफ

12122 12122 x 2

मुफायलातुन्

मुफायलातुन्

मुफायलातुन्

मुफायलातुन्

12122

12122

12122

12122

मुतकारिब मुसद्दस सालिम

फऊलुन् x 3 122 122 122

फऊलुन्

फऊलुन्

फऊलुन्

122

122

122

मुतकारिब मुसद्दस् महजूफ मुदायफ/ मक्बूज अस्लम मुदायफ

12122 12122 12122

मुफायलातुन्

मुफायलातुन्

मुफायलातुन्

12122

12122

12122

मुतकारिब मुसद्दस् मक्बूज अस्लम

12122122

फऊलु

फैलुन्

फऊलुन्

121

22

122

मुतकारिब मुरब्बा सालिम

फऊलुन् x 2 122 122 122

फऊलुन्

फऊलुन्

122

122

मुतकारिब मुरब्बा मक्बूज

1212212122

फऊलु

फऊलु

121

121

Views: 6066

Replies to This Discussion

शुक्रियः र

सभी सुधि जनों को नमस्कार । अगले पाठ की बड़ी व्यग्रता से प्रतीक्षा है ।

आदरणीय तिलक राज कपूर सर, इन अध्यायों का पुनर्पाठ कर पुनः लाभान्वित हो रहा हूं। हार्दिक आभार आपका।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
18 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
yesterday
Admin posted discussions
Monday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service