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आदरणीय साथियो,

सादर नमन।
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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-112 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-112
विषय : सच-झूठ/सच्चा-झूठा
अवधि : 30-07-2024 से 31-07-2024 
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अति आवश्यक सूचना:-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, 10-15 शब्द की टिप्पणी को 3-4 पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पाए इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता अपेक्षित है। देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ-साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने/लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
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मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)

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बाल मानस की उलझन को सुलझाने का प्रयास बेहतर ढंग से निरूपित हुआ है।झूठ  के अलावे सच का  भी निदर्शन आता, तो पूर्णता आ जाती,शायद।फिलवक्त, बधाइयां स्वीकार करें,आदरणीय उस्मानी जी।

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।

आदरणीय उस्मानी जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई आपको। सादर

हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब।

आभार 

प्रदत्त विषय पर अच्छी रचना हार्दिक बधाई आदरणीय उस्मानी जी। चंचल/ नटखट..एक ही अर्थ है

हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी। ध्यान आकृष्ट कराने हेतु शुक्रिया, लेकिन मेरे विचार से दोनों शब्दों में तनिक अंतर है। शब्द 'चंचल' का अर्थ 'अस्थिर' जबकि शब्द 'नटखट' का मतलब 'शरारती' मेरी जानकारी अनुसार।

झूठ - सच
भूख के भय से मुक्त हुए लोगों के सम्मान में समारोह चल रहा था। सभी सजे - धजे थे।चकाचौंध बिखेड़ती रोशनी,रंग - बिरंगी सजावट मन मोहते थे।अचानक ऐलान हुआ कि मंत्री जी पधार रहे हैं। उनके सम्मान में मारे गूंजने लगे , " भूखों का मसीहा जिंदाबाद! हमारा नेता सच्चा है,और दूसरा बच्चा है!" तालियां गड़गड़ाईं।पास के पेड़ के पंछी हवा हो गए। नेताजी ने माइक संभाला। सम्मानार्थियों  के लिए आई फूल -मालाओं से लदे गले से भराई -सी आवाज उभरी, " भूखमारी भाग गई।  अब कोई भूखा नहीं सोता।"
"चुप्प  ..चुप झूठे!"
"कौन हो?" नेताजी गरजे।
"भूख हूं।बेबसी हूं। सच्चाई हूं। समझा?" चीथड़ों में लिपटी बुढ़िया गुर्राई।
"मौलिक और अप्रकाशित "

आदाब। लघु आकार की बेहतरीन मार्मिक लघुकथा। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। सच तो सच है। सच की आवाज़ गुर्रायेगी, झकझोरेगी ही।

बेहतर शीर्षक की भी गुंजाइश है।

मारे नारे ✓

भर्राई

गूॅंजने

हूॅं 

हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।

आदरणीय मनन कुमार सिंह जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर

आभार आदरणीय।

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