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"OBO लाइव महा उत्सव" अंक १० (छंद विशेषांक) {Now closed with 673 Reply}

सभी साहित्य प्रेमियों को

प्रणाम !

साथियों जैसा की आप सभी को ज्ञात है ओपन बुक्स ऑनलाइन पर प्रत्येक महीने के प्रारंभ में "महा उत्सव" का आयोजन होता है, उसी क्रम में ओपन बुक्स ऑनलाइन प्रस्तुत करते है ......

 

"OBO लाइव महा उत्सव" अंक  १० (छंद विशेषांक)

इस बार महा उत्सव का विषय है "रक्षा बंधन"

आयोजन की अवधि :- ७ अगस्त २०११ रविवार से ०९ अगस्त २०११ मंगलवार तक

महा उत्सव के लिए दिए गए विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना छंद काव्य विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते है साथ ही अन्य साथियों की रचनाओं पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते है |

इस बार हम प्रस्तुत कर रहे है "छंद विशेषांक" यानी इस अंक में केवल भारतीय छंद विधा में काव्य प्रस्तुत किये जा सकेंगे |

भारतीय छंद के कुछ प्रचलित प्रकार निम्न है ....

दोहा, रोला, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त/घनाक्षरी, छप्पय, सवैया, हरिगीतिका इत्यादि |

साथियों बड़े ही हर्ष के साथ कहना है कि आप सभी के सहयोग से साहित्य को समर्पित ओबिओ मंच नित्य नई बुलंदियों को छू रहा है OBO परिवार आप सभी के सहयोग के लिए दिल से आभारी है, इतने अल्प समय में बिना आप सब के सहयोग से कीर्तिमान पर कीर्तिमान बनाना संभव न था |

इस १० वें महा उत्सव में भी आप सभी साहित्य प्रेमी, मित्र मंडली सहित आमंत्रित है, इस आयोजन में अपनी सहभागिता प्रदान कर आयोजन की शोभा बढ़ाएँ, आनंद लूटें और दिल खोल कर दूसरे लोगों को भी आनंद लूटने का मौका दें |

अति आवश्यक सूचना :- इस छंद विशेषांक में सिर्फ और सिर्फ भारतीय छंद आधारित रचनायें ही पोस्ट करने की कृपा करें, नियम विरुद्ध व निम्न स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये और बिना कोई पूर्व सूचना दिए प्रबंधन सदस्यों द्वारा अविलम्ब हटा दिया जायेगा, जिसके सम्बन्ध में किसी भी किस्म की सुनवाई नहीं की जायेगी |

( फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो ७ अगस्त लगते ही खोल दिया जायेगा )

यदि आप अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें |

नोट :- यदि आप ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के सदस्य है और किसी कारण वश महा इवेंट के दौरान अपनी रचना पोस्ट करने मे असमर्थ है तो आप अपनी रचना एडमिन ओपन बुक्स ऑनलाइन को उनके इ- मेल admin@openbooksonline.com पर ७ अगस्त से पहले भी भेज सकते है, योग्य रचना को आपके नाम से ही महा उत्सव प्रारंभ होने पर पोस्ट कर दिया जायेगा, ध्यान रखे यह सुविधा केवल OBO के सदस्यों हेतु ही है |

( "OBO लाइव महा उत्सव" सम्बंधित किसी भी तरह के पूछताक्ष हेतु पर यहा...

मंच संचालक

धर्मेन्द्र शर्मा (धरम)

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Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

बहुत बहुत आभार संजय भईया |

पंकज को राखी बांधे, बहना जो परवीना,

सरिता को दिया वचन, सैफ़ जी निभाइये |

 

jai ho OBO ki

 

जय हो ओ बो ओ की

जय  ओ बो ओ !!!

 

ओ बी ओ का छंद महा उत्सव चल रहा

बड़े बड़े दिग्गज जन का लगा जमावड़ा है

 

दोहा, रोला, चौपाई, कुण्डलिया औ' सवैया

हबीब देखो आनंद की बरखा तले खडा है

 

कुछ कहे, टीप लिखे, हिम्मत करे कैसे?

पढ़ रहा जिसको वही पहले से तगड़ा है

 

वाह वाह कर रहा भीग रहा भावों में

मंदिर के दरवाजे मगन भक्त ज्यों पडा है.

 

सच कहूँ तो सुधि मित्रों, इस छंद महोत्सव में लिखे गए उच्च कोटि के छंदों को पढ़ कर टिप्पणी करने की भी हिम्मत नहीं पद रही....  सभे गुनी कवियों को सादर नमन....

//ओ बी ओ का छंद महा उत्सव चल रहा

बड़े बड़े दिग्गज जन का लगा जमावड़ा है

 

दोहा, रोला, चौपाई, कुण्डलिया औ' सवैया

हबीब देखो आनंद की बरखा तले खडा है

 

कुछ कहे, टीप लिखे, हिम्मत करे कैसे?

पढ़ रहा जिसको वही पहले से तगड़ा है

 

वाह वाह कर रहा भीग रहा भावों में

मंदिर के दरवाजे मगन भक्त ज्यों पडा है.///

 

संजय भाई आप भी दिग्गज से कम नहीं,
आपका लेखन मुझे लग रहा प्यारा है ,

छंद की बारिश में हम सब खड़े प्यारे,
जो न भीगे यहाँ पर वही तो बेचारा है,

तगड़े पर तगड़ा रगड़े पर रगड़ा,
साथियों के बीच में ही हाथ आजमाना है,

भक्ति का है भाव ऐसा छंद का प्रसाद ऐसा,
"बागी" भी कतार बीच हाथ फैलाये खड़ा है,

खुबसूरत प्रस्तुति संजय साहब.....बहुत ही बढ़िया...

आपके उत्साहवर्द्धक प्रयास को शुभकामनाएँ ..

//वाह वाह कर रहा भीग रहा भावों में

मंदिर के दरवाजे मगन भक्त ज्यों पडा है.//

बहुत भावपरक पंक्तियाँ, बधाई

संजय भाई आप हैं, यारों के ही यार.
खुला मंच है ओबिओ, सबमें बाँटे प्यार.. 


अदभुत लगी घनाक्षरी, अच्छा लगा प्रयास.
रचते  रहना ही सदा, यह ही सबसे ख़ास..

 

राखी का त्यौहार एकता और सौहार्द का त्यौहार है .....आपने इसे अपनी सुन्दर घनाक्षरी से जोड़ कर अत्यंत पावन बना दिया है ..बधाई गणेश भैया

बहुत बहुत धन्यवाद ब्रिजेश भैया | 

wah wah Bagi ji, kya kehne

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