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केतनो सुधाराबा भाई इ नाही सुधरी ,
लाल कहा से दीही फाट गइल गुदरी ,
उहे गाव ह एकर बा उहे संसकीरती ,
ना जाने कब कईसे बदलल पर्वीरती,
जहा चालत रहे सूबे साम राम राम ,
अब चालत बाटे बे मतलब के काम ,
दारू मीली जहा मीले दूध के गगरी,
केतनो सुधाराबा भाई इ नाही सुधरी ,
इ देलस राजेंदर, कुआर आउर मंगल ,
एकर भाषा मीठा आउर रहे कोमल ,
कईसे सुधरी अब इहो बिगरत बाटे ,
अब गाव बीगारत बा दारू के नाते ,
बन गईले आच्छा खासा अब कुबरी ,
केतनो सुधाराबा भाई इ नाही सुधरी ,

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Replies to This Discussion

bada sughar geet likhale baani raaua. bada nik laagal padh ke
बहुत खूब गुरु जी, फिर बाजी मार लिहनी रौवा , अच्छी रचना ,

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