For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लड़ता रहा कबीर..

मन से फक्कड़ संत वह, तन से रहा फ़कीर.

खड़ीं सामने रूढ़ियाँ, लड़ता रहा कबीर..


तेरह-ग्यारह नाप के, रचे हजारों छंद.
दोहे संत कबीर के, करे बोलती बंद..


पूजे लोग कबीर को, ले अँधा विश्वास..
गड़े कबीरा लाज से, दोहे हुए उदास..


थोडा बोलो चुप रहो, सुनो लगा कर कान.
छोटे मुख मै क्या कहूं, कह गए लोग सुजान..


कथ्य कला काया कसक, कागज़ कलम किताब.
सब मिल कर पूरा करे, ज्ञानदेव का ख्वाब..

अविनाश बागडे.

Views: 425

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by AVINASH S BAGDE on February 15, 2012 at 10:59am

Saurabh ji,Siya ji,Bagi ji,Ambarish bhai..sabhi ka aabhar.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 14, 2011 at 9:20pm

तेरह-ग्यारह नाप के, रचे हजारों छंद.

दोहे संत कबीर के, करे बोलती बंद..   

पहली पंक्ति  ’तेरह-ग्यारह...छंद’--

समझ चुके हैं तथ्य तो, इसे बाँधिये गाँठ 

तेरह चौदह हों नहीं, बने न गिनती आठ ...   :-)))

दूसरी पंक्ति   ’दोहे संत... बोलती बंद’--

कैसे भाई कह दिया, दोहे कर दें चुप्प ?

अगर कबीरा को पढ़ें, रहे न मन में घुप्प !! ...  

 

दिली बधाई आपको, है भाई अविनाश

दोहे सम्यक हैं बने,  बढिया हुआ प्रयास..

 

Comment by siyasachdev on October 8, 2011 at 11:49am

wah bahut hi khoobsurat dohe kahe hain janab ...har ek doha ek achha sandesh liye hue hain...bahut hi khoobsurat soch wah...badhayi sweekaar kare hamari ...


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 5, 2011 at 6:13pm

वाह वाह, बेहतरीन दोहे, महापुरुषों को याद करने का एक बहाना दे जाते है ये दोहे, बधाई स्वीकार करे |

Comment by Er. Ambarish Srivastava on October 5, 2011 at 4:39pm

अच्छे दोहे हैं रचे, भाई जी अविनाश.
सारे सब ऐसे खिले, ज्यों हो खिले पलाश.. 
बहुत-बहुत बधाई आपको .........

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
6 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
6 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Monday
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service