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इस मुकम्मल जहाँ में

यादों में जी कर उसकी खुद को परेशान  कर रहें है
अब यही काम सरे आम कर रहे हैं 
होते थे पहले औरों से,
 मगर अब खुद ही को बर्बाद कर रहे हैं 

आँखों में उसकी जीते थे 
सांसों को उसकी छुते थे
राहों से उनकी गुज़रते थे
चाहों में उनकी संवरते थे

तनहा ही तनहा हैं  अब तो हम  हर घडी
मुश्किल से पाई  थी मंजिल आगे खड़ी   
छुआ जो हमने तो मंजिल को दूर हुई 
दुआ अब इस दिले से बस यही निकली ............

ना चाहतें हों ,ना हसरतें हों , ना आरज़ू हो  इस मुकम्मल  जहाँ में 
ना ख्वाहिशें हों , ना दिलबरी हो , ना दिलजले  हों इस मुकम्मल जहाँ में 

अधूरा सा ख्वाब जो टूटा  था 
तेरी ही यादों ने लूटा था 
रिश्तों की डोर जो टूटी थी
तेरे ही हाथों वो उलझी थी



तेरे बिना तनहा रातें  पहले भी होती  थी, 
गुज़रकर वो रातें  सवेरा  बनकर  आती  थी 
करवटों में रातें गुज़रती है अब तो,
नींदें भी गुम सी  अंधेरों में है हर पल 
गाती है अब यही फ़साना ........

ना दोस्ती हो , ना दिलकशी हो ना , ना फासले हों इस मुकम्मल जहाँ में 
ना सादगी हो ,  ना आशिकी हो , ना  टूटे दिल फिर इस मुकम्मल जहाँ में 

यादों में जी कर उसकी खुद को परेशान  कर रहें है
अब यही काम सरे आम कर रहे हैं 
होते थे पहले औरों से,
 मगर अब खुद ही को बर्बाद कर रहे हैं 

Views: 440

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Comment by Rohit Dubey "योद्धा " on May 30, 2012 at 7:26pm

Thanx a lot Pradeep Jee

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 30, 2012 at 4:11pm
रोहित   जी, सादर 
अधूरा सा ख्वाब जो टूटा  था 
तेरी ही यादों ने लूटा था 
रिश्तों की डोर जो टूटी थी
तेरे ही हाथों वो उलझी थी
 बधाई.
 
Comment by Rohit Dubey "योद्धा " on May 28, 2012 at 11:39pm

Thanx a lot Rekha jee

Comment by Rekha Joshi on May 28, 2012 at 9:36pm

Rohit ji ,

अधूरा सा ख्वाब जो टूटा  था 

तेरी ही यादों ने लूटा था 
रिश्तों की डोर जो टूटी थी
तेरे ही हाथों वो उलझी थी,sundr bhaav ,bahut bahut badhai
Comment by Rohit Dubey "योद्धा " on May 28, 2012 at 8:51pm

lakh lakh dhanyawad Albela Khatri  jee

Comment by Albela Khatri on May 28, 2012 at 9:31am

bahut khoob kaha  Rohit Dubey ji...........badhaai

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