For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")


राखी का गिफ्ट

बहना बोली इस बार राखी पे
गिफ्ट अच्छा सा लूँगी
तभी आपकी कलाई पर
राखी मैं बांधूंगी
मैं बोला चाँदी से महँगा हो
गया आलू,टमाटर
ले लेना तुम गिफ्ट में बहना
इक थैला पूरा भर
खुद भी खाना सबको खिलाना
बाँटना सारे मुहल्ले में
खाया न होगा कई दिनों से
अब खाना तुम जी भर
लेकिन धीरे धीरे खाना
अगली राखी तक चलाना
बीच में तंग न करना
आलू,टमाटर और न मंगवाना
दीपक कुल्लुवी

फोटो : हम दो भाइयों की इकलौती  बहन बिंदू

Views: 449

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on July 27, 2012 at 9:38am

yogyata ji,ashokji,bhramar ji shukriya

chashma lagaye mere bade bhai hai aur hamare ghar  Manikarn Chowk Shamshi Kullu men hi rahate hain wahan inka naina devi mandir bhi hai.....

Comment by Ashok Kumar Raktale on July 26, 2012 at 8:17pm

दीपक जी

           सादर, बहन भाई के बीच की मसखरी को सुंदरता से प्रस्तुत किया है. बधाई.

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 26, 2012 at 5:11pm
प्रिय दीपक 'कुल्लुवी' जी बहुत सुन्दर ..व्यंग्य और हास्य का पुट लिए आज के हालात को दर्शाती रचना ..कहाँ ये राखी खरीदने की हिम्मत होती है आज आम आदमी को 
ये बचपन की तस्वीरें बड़ी प्यारी हैं संजो के रखी हैं ....आप दायें हैं क्या इसमें ?  शुभ कामनाएं ये भैया बहना की जोड़ी सदा बनी रहे 
जय श्री राधे 
भ्रमर ५ 
Comment by Yogyata Mishra on July 26, 2012 at 2:20pm
nics one...
Comment by Deepak Sharma Kuluvi on July 25, 2012 at 2:22pm
शुक्रिया राजेश कुमारी जी ..
हमारी बहन बहुत अच्छी है समझदार है 

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 25, 2012 at 2:10pm

बहुत प्यारी रचना व्यंग्य का पुट देते हुए रक्षा बंधन जैसा प्यारा त्यौहार कोई नहीं| तस्वीर भी बहुत पसंद आई बहुत प्यारी बहना है आपकी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service