आदरणीय मित्रों! "नम्बरदार जोखी राम स्मृति संसथान द्वारा दिए जाने वाले "स्व. दमयंती यादव स्मृति सम्मान-२०११: के लिए २००८ से २०११ के बीच प्रकाशित किसी भी विधा की (गीत, गज़ल, दोहे, कविता, कहानी, लघुकथा, नाटक, निबंध, आदि) हिंदी की पुस्तकें आमंत्रित हैं/ पुरस्कार में ११०० रुपये नगद, स्मृति चिह्न, शाल और प्रशस्ति पत्र दिए जायेंगे/ वैसे तो अंतिम तिथि ३१ जुलाई थी, किन्तु ओ बी ओ के मित्रों के लिये इसे १४ अगस्त किया जा रहा है/ इच्छुक मित्र १४ अगस्त से पहले पुस्तक की दो प्रतियाँ हमारे सम्पादकीय कार्यालय को भेज सकते हैं/ विजेता की घोषणा १५ अगस्त को कर दी जायेगी/
नोट- पुस्तक केवल स्पीड पोस्ट या साधारण डाक से ही भेजें >
रघुविन्द्र यादव,
संपादक, बाबूजी का भारतमित्र,
प्रकृति-भवन,
नीरपुर,नारनौल (हरियाणा)-123001
9416320999
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अरे वाह, किताबों का सस्ते में जुगाड़ करने का क्या बेहतरीन आयडिया है, शायद आप लोग नहीं समझे ....कोई बात नहीं मैं बताता हूँ ...............
कुल चार साल में लिखी हुई किताब आमंत्रित है यदि मात्र २०० लोग भी किताब भेजते है जिन्होंने औसतन चार साल में २ किताब भी लिखे हो और एक किताब पर खर्च ( डाक व्यय सहित) २५० रुपैया भी हो तो .................
200x2x250 =1,00,000/- (एक लाख रुपये)
और इनाम देने मे खर्च ....
3x1100 + 1200 (अन्य खर्च) = 4500/- (कुल चार हजार पांच सौ मात्र)
है ना फायदे का सौदा ...............क्या बात है ??????????
आदमी की खुद की जैसी सोच होती है वो दूसरों के बारे में भी वैसा ही सोचता है/ जिन्हें लगता है लुट जायेंगे वो अपनी पुस्तक बिलकुल न भेजें/
भाई संजय कुमार सिंह जी, मुझे नहीं लगता आपकी इस बिना आधार की कयास-अराई में कोई ज्यादा दम है. आपकी केलकुलेशन २०० लेखकों की ४०० पुस्तकों पर आधारित है. अब मान लीजिये वहाँ पुस्तकें आएं ही ५-७ बंदों की ? तब आपकी केलकुलेशन क्या कहेगी ? लेकिन एक बात मेरे गले के नीचे भी नहीं उतर रही के एक दिन में विजेता पुस्तक का चुनाव कैसे संभव हो सकता है ? यह बात कई प्रश्न-चिन्ह अवश्य उठा रही है.
आदरणीय योगराज जी,
पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार प्रविष्ठि भेजने की अंतिम तिथि 31 जुलाई और परिणाम घोषित करने की अंतिम तिथि 15 अगस्त तय थी। अगर आपने मेरे नोटिस को ध्यान से पढा होता तो आप जान पाते कि 14 अगस्त तक तिथि केवल ओ बी ओ के मित्रों के लिए बढाई गई थी। मार्च से जुलाई तक हमारे पास 9 पुस्तकें और 1 पुस्तिका प्राप्त हुई। जो साथ-साथ निर्णायक मंडल से सदस्यों को भेज दी गई और वे उन्हें पढ चुके हैं। ओ बी ओ के मित्रों के लिए बढाई गई तिथि में ओ बी ओ से एकाध पुस्तक ही आने की उम्मीद थी और हुआ भी वही 2008-2011 का मात्र एक हाइकू संग्रह प्राप्त हुआ है। एक पुस्तक को पढने में आप कितने दिन लगायेंगे! जो पुस्तकें आज तक प्राप्त हुई वे हैं-
कुशल हो गये-श्री रमेशचन्द्र शर्मा
त्रिकाल के गीत-श्री राधेश्याम शुक्ल
जरा-सी प्यास रहने दे-श्री राधेश्याम शुक्ल
पर्यावरणीय दोहे-श्री कुंवर कुसुमेश
रामायण के राम-डॉ.सुखीराम रावत
यह कैसी जिन्दगी-श्री देवेन्द्र कुमार मिश्र
गीत संजीवनी-डॉ.बैरिस्टर सिंह यादव
साया-श्रीमती रंजू भाटिया
आंजनेय हनुमान-श्री शंकर शरण लाल बत्ता
गीत कलश-डॉ.सुशील गुरू
माला के मोती-श्री दिलबाग विर्क
पुरस्कार आप जैसे साहित्यकारों द्वारा दिये जाते हैं और पुस्तकों का चयन भी उन्हीं द्वारा किया जाता है। भारतमित्र केवल माध्यम है, जैसे ओबीओ के पुरस्कार और निर्णायक कोई और होते हैं और आयोजक ओबीओ। अंतिम क्षणों में पुरस्कारों के प्रायोजकों की संख्या तीन हो जाने के कारण अंतिम तिथि 25 अगस्त और परिणाम की तिथि 31 अगस्त तय की गई है। जो मैं पहले ही अपडेट कर चुका हूं। अब अगर आप ठीक से पढ नहीं सकते तो इसके लिए कोई ओर नहीं आप ही जिम्मेवार हैं। प्रधान संपादक होने के नाते आपको ठीक से पढना चाहिए अन्यथा आपकी नीयत पर भी कई सवाल उठेंगे।
अभी तक मिली पुस्तकों की छपी कीमत 3542 रूपये है और अभी बाकी बचे 10 दिनों में दो पुस्तकें और मिल सकती हैं।
यानी कुल छपी कीमत 4000 की पुस्तकें हमें मिलेंगी।
बाकी 2,96000 की पुस्तके संजय सिंह और उसका बाप भेजेगा। जो आप ओबीओ के पुस्तकालय में रख लेना।
श्रीमान संजय कुमार सिंह जी,
आपकी उपरोक्त प्रतिक्रियाओं से हम सहमत नहीं हो पा रहे ! ऐसी प्रतिक्रियाएँ सामने वाले व्यक्ति में अनावश्यक झल्लाहट पैदा करती हैं ...खासतौर पर जब उस पर ऐसे आरोप लगाए जा रहे हों जैसा कि वह नहीं है .....कृपया इसे अविलम्ब बंद करें! और अपनी इस ऊर्जा का प्रयोग ओबीओ परिवार के अन्य सदस्यों की रचनाओं पर सार्थक प्रतिक्रिया देने में करें....
सदस्य टीम प्रबंधन
श्रीमान रघुविन्द्र यादव जी ! आपके द्वारा दिए गए उपरोक्त विवरण से हम संतुष्ट हैं!
परन्तु आदरणीय प्रधान संपादक जी को संबोधित की गयी आपकी निम्नलिखित भाषा हमें भी आहत कर रही है !
//अब अगर आप ठीक से पढ नहीं सकते तो इसके लिए कोई ओर नहीं आप ही जिम्मेवार हैं। प्रधान संपादक होने के नाते आपको ठीक से पढना चाहिए अन्यथा आपकी नीयत पर भी कई सवाल उठेंगे।
बाकी 2,96000 की पुस्तके संजय सिंह और उसका बाप भेजेगा। जो आप ओबीओ के पुस्तकालय में रख लेना।//
कृपया इस मंच पर ऐसी तल्ख़ भाषा का प्रयोग मत करें! यह ओबीओ के नियमों के विरुद्ध है !
चूँकि आपके अपडेट्स रिप्लाई बाक्स में हैं... मेन पोस्ट में नहीं .....अतः उन पर सहज ही दृष्टि नहीं पहुँच सकी होगी संभवतः इसी लिए संपादक जी की दृष्टि उन पर नहीं पड़ सकी....
हमें आप जैसे विद्वान व्यक्ति से ऐसी भाषा के प्रयोग की अपेक्षा नहीं थी....................:-(
रघुविंदर यादव जी, कोई भी अच्छा कार्य किया जाता है तो लोग सवाल तो उठाते ही है, जिसका जवाब हमें शालीनता से देना होता है, किन्तु आप तो बिलकुल उखड कर अमर्यादित तरीके से जवाब दे रहे हैं, माफ़ कीजियेगा किन्तु एक साहित्यकार और संपादक से इस आचरण की उम्मीद नहीं की जा सकती, व्यक्तिगत रूप से मुझे कष्ट हुआ |
// इच्छुक मित्र १४ अगस्त से पहले पुस्तक की दो प्रतियाँ हमारे सम्पादकीय कार्यालय को भेज सकते हैं/ विजेता की घोषणा १५ अगस्त को कर दी जायेगी//
पूर्व में तो आपकी यही योजना थी, संशोधन पर यदि प्रधान संपादक जी की नजर नहीं गई तो आप उसे शालीनता से कह सकते थे, पर अफ़सोस आप ने अलग/गलत तरीके से प्रतिक्रिया दी |
गणेश जी आपने मेरे मन की बात कह दी
कोई भी अच्छा कार्य किया जाता है तो लोग सवाल तो उठाते ही है
एक व्यक्ति सहयोग के लिए आगे आता है तो ५ असहयोग में अपना तन मन धन खर्चने का संकल्प लिए बैठा मिलते है ...
सहमत हूँ वीनस भाई |
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
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