For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हो गया है मेरा शहर जन्नत

शाम जन्नत हुई सहर जन्नत
आप आये हुआ ये घर जन्नत

जो पड़े हैं कदम तुम्हारे यूँ     
हो गया है मेरा शहर जन्नत

राह मुश्किल भरी रही लेकिन 
आपके साथ था सफ़र जन्नत

ख्वाब क्या और क्या हकीकत में
नूर देखा हुई नज़र जन्नत

'दीप' वीरां लगा जहाँ तुझ बिन
इश्क की याद थी मगर जन्नत 

संदीप पटेल "दीप"

Views: 589

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on September 11, 2012 at 7:28pm

राह मुश्किल भरी रही लेकिन 
आपके साथ था सफ़र जन्नत
 वाह! बहुत सुन्दर. बधाई स्वीकारें.

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 11, 2012 at 12:20pm

आदरणीया महिमा जी सादर प्रणाम
आपको ग़ज़ल पसंद आई और आपसे बधाई मिली
ये स्नेह और सहयोग यूँ ही बनाये रखिये
बहुत बहुत धन्यवाद और सादर आभार आपका

Comment by MAHIMA SHREE on September 11, 2012 at 12:00pm

शाम जन्नत हुई सहर जन्नत 
आप आये हुआ ये घर जन्नत

जो पड़े हैं कदम तुम्हारे यूँ      
हो गया है मेरा शहर जन्नत

बहुत खूब संदीप जी .. बधाई आपको 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 11, 2012 at 11:37am

शुभेच्छा, भाई संदीपजी.

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 11, 2012 at 10:40am

आदरणीय सौरभ सर जी सादर प्रणाम
आप बड़ों का आशीर्वाद यूँ ही मिलता रहे बस
आपकी प्रतिक्रिया से उत्साह  बढ़ जाता है
प्रयास करते करते एक दिन कहन में भी सुधार आ जायेगा
आपका बहुत बहुत धन्यवाद सहित सादर आभार
स्नेह और आशीष यूँ ही बनाये रखिये


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 11, 2012 at 10:16am

बेहतर प्रयास हुआ है, संदीपजी. ऐसे प्रयासों में कहन पर भी बल दिया जाय.

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 11, 2012 at 10:13am

आदरणीय अजीतेन्दु जी सादर प्रणाम
आपको ग़ज़ल पसंद आई और आपकी दाद मिली लिखना सार्थक हो गया
सादर आभार आपका
स्नेह यूँ ही बनाये रखिये अनुज पर

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 11, 2012 at 10:11am

आदरणीय भाई संदीप जी
आपसे सदैव इसी तरह सहयोग की अभिलाषा रहती है
अपना स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
हम क्या करें थोडा अपनी आदतों से लाचार हैं
उनमे से इक ये भी है "जल्दबाजी"
मैं जानता हूँ ग़ज़ल और छंद इनमे इसकी जगह नहीं है लेकिन समयाभाव
और मन दोनों के चलते विवश हूँ
क्षमा करें अगली बार यही कोशिश होगी की ऐसी गलतियां न हों
स्नेह बनाये रखिये सादर आभार आपका   

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 11, 2012 at 10:08am

आदरणीय भाई विन्धेय्श्वरी जी सादर
आपको ग़ज़ल पसंद आई और आपने जो दिल खोल के तारीफ की
उसके लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया सहित सादर आभार
स्नेह यूँ ही भाई पर बनाये रखिये

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 11, 2012 at 9:17am

आदरणीया सीमा जी सादर प्रणाम
आप सभी के स्नेह से ही ऐसा संभव हो पाया है
ये स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
आपका बहुत बहुत शुक्रिया और सादर आभार

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो

.तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो जो मुझ में नुमायाँ फ़क़त तू ही तू हो. . ये रौशन ज़मीरी अमल एक…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 171 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थित और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post समय के दोहे -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई श्यामनाराण जी, सादर अभिवादन।दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"वाहहहहहह गुण पर केन्द्रित  उत्तम  दोहावली हुई है आदरणीय लक्ष्मण धामी जी । हार्दिक…"
Tuesday
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
Tuesday
Shyam Narain Verma commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - उस के नाम पे धोखे खाते रहते हो
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Monday
Shyam Narain Verma commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post समय के दोहे -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर और ज्ञान वर्धक प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' shared their blog post on Facebook
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service