आदरणीय साहित्य प्रेमियो,
सादर वन्दे |
ओबीओ लाईव महा-उत्सव के 24 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | पिछले 23 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने 23 विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलम आज़माई की है | जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तेज़ करने का अवसर प्रदान करता है | इस आयोजन के अंतर्गत कोई एक विषय या एक शब्द के ऊपर रचनाकारों को अपनी रचनाएँ प्रस्तुत करना होता है | इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है:-
विषय - नारी-शक्ति
आयोजन की अवधि- 6 अक्तूबर दिन शनिवार से 8 अक्तूबर दिन सोमवार तक
इस वर्ष माह अक्तूबर में भारतवर्ष सहित समस्त विश्व में भारतीयों और हिन्दु जीवनावलंबियों द्वारा दूर्गापूजा और दशहरा का त्यौहार मनाया जा रहा है | अवसर की गरिमा एक है परन्तु दोनों त्यौहारों की अलग-अलग अवधारणाएँ हैं | जहाँ देवी दूर्गा समस्त पौरुषीय ऊर्जस्विता तथा समवेत वीर्यता का अद्भुत मानवीयकरण हैं, वहीं दशहरा की पृष्ठभूमि ही राम की ’शक्ति-पूजा’ है | ’शक्ति’ की इस उन्नत अवधारणा को प्रतिपादित कर चुके भारतीय जन-समाज में आज के संदर्भ को देखते हुए नारी के उज्ज्वल तथा सकारात्मक पक्ष को प्रस्तुत करना आवश्यक हो चला है | ’शक्ति’ केवल संहार नहीं, सृजन तथा पुरुषोचित विजय-उद्घोष का भी मूल है | इस बार के आयोजन के विषय की प्रासंगिकता के मूल को हम समझें और आयोजन को सफल करें |
तो आइए मित्रो, उठायें अपनी कलम और दे डालें अपनी कल्पना को हक़ीक़त का रूप | बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य-समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए | महा-उत्सव के लिए दिए विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित पद्य-रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते है | साथ ही अन्य साथियों की रचनाओं पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.
उदाहरण स्वरुप साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका इत्यादि)
अति आवश्यक सूचना -- OBO लाइव महा उत्सव अंक- 24 में सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अधिकतम तीन स्तरीय प्रविष्टियाँ ही दे सकेंगे | नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटा दिया जाएगा | यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी |
(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो शनिवार 6 अक्तूबर लगते ही खोल दिया जायेगा )
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भवदीय,
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.
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हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण जी
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कभी अष्टभुजा धारी दुर्गामयी
कल्पना सी विज्ञान वती
कभी उषा, साइना सी तीव्र गति
लक्ष्मी ,मेघा ,धरा ,पुष्टि
कभी गौरी ,प्रभा ,धृति,तुष्टि
रणचंडी झांसी शक्ति
कभी जानकी सम अचला भक्ति
ये है नारी शक्ति ,ये है नारी शक्ति |//
वाह राजेश कुमारी जी वाह ! इस सुन्दर रचना के माध्यम से नारी के विभिन्न परम शक्तिशाली रूपों का उल्लेख किया है आपने ! बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें |
हार्दिक आभार आदरणीय अम्बरीश जी आपको रचना पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ
आपका हार्दिक स्वागत है आदरेया राजेश कुमारी जी !
अंग्रेज़ी में इक शब्द है- वाओ! बस आपकी ये रचना पढके मुंह से यही निकला. क्या तत्सम पदावलियों का अद्भुत संगीतमय, कर्णप्रिय, विस्मयोच्चरित प्रवाह, हिन्दी की संस्कृतजन्य सांस्कृतिक विरासत की मुद्रामयी अभिव्यक्ति करती आपकी ये रचना जैसे कोई दुर्गा स्तुति हो.
आदरणीया राजेश जी, आपको शत शत बधाई!
बहुत- बहुत हार्दिक आभार राज़ नवद्वी जी मेरा लिखना सार्थक हुआ आपको रचना पसंद आई
बहुत सुन्दर प्रस्तुति आदरणीया राजेश कुमारी जी..
नारी शक्ति को अनादिकाल से पूज्य देवियों माँ लक्ष्मी, माँ दुर्गा, माँ जानकी के सापेक्ष ही कल्पना की वैज्ञानिक उड़ान, उषा-साइना के तीव्र वेग, रानी लक्ष्मीबाई के अदम्य साहस में आपने समरूप देखा, यह इस रचना को बहुत सार्थक बनाता है.
बहुत सुन्दर भाव.हार्दिक बधाई आदरणीय राजेश कुमारी जी
बहुत- बहुत हार्दिक आभार प्रिय प्राची जी मेरा लिखना सार्थक हुआ आपको रचना पसंद आई
अंतर गेयता से अनुप्राणित इस अभिनव प्रस्तुति के लिये हम आपके आभारी हैं, आदरणीया राजेश कुमारीजी.
इस प्रवहमान प्रस्तुति पर सादर बधाइयाँ.. .
आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आपको रचना पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ बहुत - बहुत हार्दिक आभार
अवश्य पसंद आयी, आदरणीया राजेश कुमारीजी.
इन पंक्तियों को मैं पुनः रेखंकित करना चाहूँगा -
कभी उषा, साइना सी तीव्र गति
लक्ष्मी ,मेघा ,धरा ,पुष्टि
कभी गौरी ,प्रभा, धृति, तुष्टि
रणचंडी झांसी शक्ति
कभी जानकी सम अचला भक्ति
ये है नारी शक्ति ,ये है नारी शक्ति
वस्तुतः, मैं आपकी इस रचना के माध्यम से ज़ोर देकर कहता हूँ कि प्रस्तुत आयोजन के शार्षक ’नारी-शक्ति’ की अवधारणा को आपकी इस रचना ने पूरी तरह से संतुष्ट किया है. आज के संदर्भ में हम इस अन्योन्याश्रय इकाई को किस रूप में देख रहे हैं, यह साझा करना अधिक महत्त्वपूर्ण है. इस आयोजन की सूचना को साझा करने के क्रम जो कि में हमने इस तथ्य को बोल्ड करके स्पष्ट भी किया है. आदरणीया, आपकी प्रस्तुत रचना यहीं ’सिंगल आउट’ दीखती हुई पाठकों का एकदम से ध्यान आकर्षित करती है.
सादर
जी पुनः सादर आभार
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