For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गज़ल के विषय में मेरा ज्ञान ना के बराबर भी शायद ही हो, फिर भी प्रयास कर रहा हूँ ! आशा है, आशीष रहेगा !

 

तुमसे  जो  चंद  बात में कुछ पल ठहर गया !

जरा  खबर  ना  हुई  बड़ा  लम्हा गुज़र गया !

 

अमृत  ही  पाने  को निकला था सफर पे मै !

पीछे  मधु  की  बूंदों  के  सारा  सफर गया !

 

हुनर-ए-जमात  यूं  तो  मेरे  भी  पास  थी !

दौर-ए-नुमाईश  में  मगर  सब  हुनर  गया !

 

जीत  के  हर  वक्त  में  बाजू-ए-यकीन था !

पर जो हारा दोष सब किस्मत पे  धर  गया !

 

कल  को  बनाने  में  सारी जिन्दगी गुज़री !

कल तो बन नही पाया आज भी बिखर गया !

 

आरजू-ए-जिन्दगी  थी  क़यामत  दौर  तक !

पर  करम  ऐसे किए कि जीते जी मर गया !

 

                                                                                  -पियुष द्विवेदी ‘भारत’

 

Views: 593

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on October 13, 2012 at 7:49am

आदरणीय रेखा जी, बहुत बहुत धन्यवाद !

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on October 13, 2012 at 7:49am

वीनस भाई जी, प्रयत्न जारी है ! [मार्गदर्शन हेतु आभार आपका !

Comment by वीनस केसरी on October 13, 2012 at 12:59am

पियुष जी,
ज्ञानी तो कोई खुद को घोषित नहीं कर सकता
बहरहाल आपसे निवेदन है कि शिल्प की बारीकियों को समझने का प्रयत्न जरूर करें 

Comment by Rekha Joshi on October 12, 2012 at 10:05pm

कल  को  बनाने  में  सारी जिन्दगी गुज़री !

कल तो बन नही पाया आज भी बिखर गया !उम्दा गजल पर हार्दिक बधाई पियूष जी 

 

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on October 12, 2012 at 8:59pm

आदरणीय वीनस भाई, इस गज़ल-विषयक अज्ञानी को सराहने हेतु बारम्बार धन्यवाद !

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on October 12, 2012 at 8:58pm

आदरणीय गणेश जी, सादर धन्यवाद ! आपकी बात पर प्रयास रहेगा !

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on October 12, 2012 at 8:57pm

आदरणीय प्रभाकर जी, आपने इस प्रयास को सराहा, तो ये सफल हुवा !  आगे भी मेरा प्रयास जारी रहेगा ! साभार धन्यवाद !

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on October 12, 2012 at 8:55pm

आदरणीय सौरभ जी, बधाई हेतु धन्यवाद !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 12, 2012 at 1:59pm

पियुष जी, एक मसल साझा कर रहा हूँ, ’थोड़े कहे को बहुत समझना’. 

प्रथम प्रयास के लिये बधाई.


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on October 12, 2012 at 11:01am

आपको ग़ज़ल कहते देखना बहुत ही सुखकर लगा भाई पियूष जी. आपके पास कहन है शिल्प का ज्ञान आने में भी देर नहीं लगेगी, प्रयासरत रहें.  जिसके इस सद्प्रयास हेतु आपको दिल से बधाई देता हूँ.    

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"जी आ सुधार किया गया है ग़ौर कीजियेगा हर शख़्स को मिली हैं यहाँ अपनी इक नज़र "क्यों देखें…"
8 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"बहुत बहुत शुक्रिया आ हौसला अफ़ज़ाई का"
15 minutes ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, तरही मिसरे पर मज़ाहिया ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें…"
34 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीय आज़ी जी, अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें। चर्चा भी अच्छी हुई। "
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीय मिथिलेश जी, अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें।"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीय दयाराम जी, अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें।"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीय चेतन जी, अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें।"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार।"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीया ऋचा जी, अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें।"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीय दिनेश जी, अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें।"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"सुधार- वाक़िफ़ हुए हैं जब से ज़माने के शर से हम १ डरने लगे हैं कितने निकलने में घर से…"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीय ज़ैफ़ जी, अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें।"
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service