For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

विजय मिली है, सदा विजय हो।
भारतमाता की जय-जय हो॥

बेटों के उर लगन लगी है।
विश्वविजय की चाह जगी है॥
उनके बल का कभी न क्षय हो।
भारतमाता की जय-जय हो॥

ले के दलबल निकल पड़े हैं।
कर अस्त्रों से भरे पड़े हैं॥
लगते ऐसे हुई प्रलय हो।
भारतमाता की जय-जय हो॥

क्रोधानल से नैन लाल हैं।
नाहर सम नख-मुख विशाल हैं॥
देख जिसे भय को भी भय हो।
भारतमाता की जय-जय हो॥

अरिसेना सब भाँप रही है।
थर-थर करती काँप रही है॥
अतिशीघ्र नवयुग का उदय हो।
भारतमाता की जय-जय हो॥

Views: 444

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on November 23, 2012 at 3:10pm

हार्दिक आभार आदरणीय रक्ताले सर 

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on November 23, 2012 at 3:09pm

बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय रविकर सर 

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on November 23, 2012 at 3:09pm

हार्दिक आभार आदरणीय कुशवाहा सर 

Comment by Ashok Kumar Raktale on November 19, 2012 at 8:26pm

क्रोधानल से नैन लाल हैं।
नाहर सम नख-मुख विशाल हैं॥
देख जिसे भय को भी भय हो।
भारतमाता की जय-जय हो॥.......................वाह!

बहुत सुन्दर रचना आद. गौरव जी. बधाई स्वीकारें.

Comment by रविकर on November 17, 2012 at 6:13am

बहुत बढ़िया आदरणीय ।।

भारत माता की जय हो -

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on November 16, 2012 at 3:03pm

अरिसेना सब भाँप रही है।
थर-थर करती काँप रही है॥
अतिशीघ्र नवयुग का उदय हो।
भारतमाता की जय-जय हो॥

जय भारत 

वंदे मातरम 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
8 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service