भोजपुरी ग़ज़ल
ठेस जब दिल पर न लागल, मन अकुलाईल काहे |
बात जब कुछुओ न रsहल, आँख लोराईल काहे ||
फांस लालच के फईलल बा, मना ओहर ह जाइल |
बात सभके समझ आइल, लोग अझुराईल काहे ||
सबुर से बड़हन नईखे, केवनो दउलत जहां में |
मिलल एगो रोटी जे कम, मन झुझूआईल काहे ||
ऊ करेले प्यार तहरा से, कहत रहलs सभे से |
बोललs जे आई लव यू, फेर खिसिआईल काहे ||
जनम लेवे से पहिले, मार दिहलs बिटियन के |
अब पतोहू ना मिले, तs मन बघूआईल काहे ||
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हमार पिछुलका पोस्ट => एगो प्रयोग : भोजपुरी घनाक्षरी
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बहुत सुन्दर भोजपुरी ग़ज़ल लिखी है आदरणीय गणेश जी, और आपकी आवाज की मधुरता इसमें चार चाँद लगा रही है. हार्दिक बधाई इस सुन्दर ग़ज़ल के लिए. सादर
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