For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रोज़ ढलते सूरज के साथ,
जन्म लेने लगती कुछ बूँदें 
रोज़ सुबह उठ, उन बूँदों को भी मै पाता हूँ,
पर खो जाती,वो चढ़ते सूरज के साथ....
तब पूछता मै खुद से....
सूरज ही तो था इनका जनक, फिर...फिर
क्यों कर मिटा दी उसने अपनी ही उत्त्पत्ति?
सोचते-सोचते उभर आती फिर कुछ बूंदे
पर होती नहीं वो ओंस....
और इस तरह ....ढलने लगता ...एक और सूरज
और जन्म लेने लगती फिर कुछ बूँदें ........

"विवेक"

Views: 568

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Vivek Shrivastava on February 8, 2013 at 1:13am
Dhanywaad Mahima jee
Comment by MAHIMA SHREE on February 7, 2013 at 10:13pm

सुंदर भावाभिव्यक्ति के लिए बधाई स्वीकार  करें

Comment by Vivek Shrivastava on February 6, 2013 at 11:58pm

Thanks a lot surabh sir 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 6, 2013 at 9:06pm

वैचारिकता को बधाई.

आपका सहर्ष स्वागत है, भाई विवेकजी.

Comment by Vivek Shrivastava on February 6, 2013 at 7:15pm

धन्यवाद संदीप भाई 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 6, 2013 at 7:01pm

क्या बात है बहतरीन ताना बाना बधाई हो

Comment by Vivek Shrivastava on February 6, 2013 at 6:50pm

परम आदरणीय विजय सर एवं रविकर सर कृपया आदरणीय सम्भोदित कर लज्जित ना कीजिये ...आप के आशीष वचन शिरोधार्य हैं ...सादर प्रणाम  

Comment by vijay nikore on February 6, 2013 at 6:21pm

आदरणीय विवेक जी,

सुन्दर भावाभिव्यक्ति के लिए सधुवाद।

विजय निकोर

Comment by रविकर on February 6, 2013 at 5:45pm

स्वेद कण / ओस ,
बहुत बढ़िया है -
आदरणीय शुभकामनायें -

Comment by Vivek Shrivastava on February 6, 2013 at 5:06pm
Thanks a lot Dr Prachi for precious words of appreciation.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
14 hours ago
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय सुशील सरना जी, हार्दिक आभार आपका। सादर"
yesterday

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। इस बार…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना कि कुछ तो परदा नशीन रखना।कदम अना के हजार कुचले,न आस रखते हैं आसमां…See More
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ओबीओ द्वारा इस सफल आयोजन की हार्दिक बधाई।"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
Tuesday
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
Tuesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service