For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक अच्छा इन्सान बनो।

कुछ भी बनने से पहले
एक अच्छा इन्सान बनो।
कुछ भी करने से पहले,
दूसरों का सम्मान करो।
समझो दूसरों की भावनाएँ,
न उनका अपमान करो।
मत दो किसी को दुःख,
सबको प्रेम समान करो।
जो तोड़ दे किसी हृदय को,
ऐसी उपेक्षा,न अपमान करो।
यदि कोई गहराई से चाहे तुम्हें,
तो उस प्रेम का सदा मान रखो।
खेल कर किसी के भावों से,
उस प्रेम का न अपमान करो।
ठुकरा कर  प्रेम किसी का,
न आहत आत्मसम्मान करो।
तुम्हारी उपेक्षा,आत्मग्लानि में
न डुबाये,ऐसा न विधान करो।
तुम्हें प्रेम करके पछताये कोई,
दुखद है,इसका थोड़ा ध्यान धरो।
प्रेम के बदले कितनी पीड़ा दी,
तुम इसका तनिक अनुमान करो।
तुम्हारे कारण दुःखी हो कोई,
तो उस दुःख का तुम निदान करो।
तभी सफल है जीवन तुम्हारा,जब
तुम समस्या का समाधान करो।
 सभी को बाँटो स्नेह-प्रेम तुम
और बड़ों को तुम प्रणाम करो।
'सावित्री राठौर'
[मौलिक एवं अप्रकाशित]

Views: 926

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Savitri Rathore on June 27, 2013 at 3:46pm

आदरणीय अरुण जी,सुमित जी,यतीन्द्र जी,प्रियंका जी,जवाहरलाल जी,डी पी माथुर जी,राजेश कुमारी जी,राजकुमार जी,रामशिरोमणि जी,जितेन्द्र जी,श्यामनारायण जी,आबिद अली जी, रोशनी जी,बृजेश जी एवं विजय जी, आप सभी को मेरा सादर नमस्कार !मेरी रचना की सराहना एवं उस पर अपनी अमूल्य प्रतिक्रिया हेतु मैं आप सभी का हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ।

Comment by aman kumar on June 10, 2013 at 5:09pm

सुंदर रचना बधाई..........

Comment by Sumit Naithani on June 10, 2013 at 12:16pm

sunder rachna...............

Comment by yatindra pandey on June 9, 2013 at 11:54pm

HAILO MAM,

BAHUT SUNDAR AUR GAHRI RACHNA BAN PADI HAI

AABHAR SWEKAR KARE

YATINDRA

Comment by Priyanka singh on June 9, 2013 at 12:27am

खेल कर किसी के भावों से, 
उस प्रेम का न अपमान करो।

बहुत  खूब .....बधाई .....

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 8, 2013 at 9:39pm

बहुत ही सुन्दर भाव ! सावित्री जी बधाई!

Comment by D P Mathur on June 8, 2013 at 8:59pm

कुछ भी बनने से पहले, एक अच्छा इन्सान बनो ।
कुछ भी करने से पहले, दूसरों का सम्मान करो ।
नसीहत भरी रचना - डी पी माथुर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 8, 2013 at 8:50pm

आपके भाव लाजबाब हैं इस रचना में जो स्वागत योग्य हैं बहुत बहुत बधाई ब्रजेश जी की बातों का अनुमोदन करती हूँ 

Comment by ram shiromani pathak on June 8, 2013 at 2:31pm

सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई ///प्रयासरत रहिये शुभ शुभ//////////

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 8, 2013 at 2:17pm
आदरणीया..साविञी जी, अति सुंदर पंक्तियां "हार्दिक शुभकामनाऐं...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
16 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Monday
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service