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चुनावी साल में नेता जी

आज हर ओर खुदी है सड़क
खड्डों मिट्टी की है भरमार
क्योंकि चुनाव को रह गया है एक साल


इसलिए हरेक नेता जी को
सड़क अब टूटी नज़र आने लगी है
अपनी बेरूख़ी जनता अब भाने लगी है

अब सफाई वाला ,कूड़ा उठाने वाला हाज़िरी लगाने लगे हैं
जो कभी दीवाली,लोहड़ी,होली पर बस बक्शिश लेने आते थे
सारा दिन पार्क के पास बैठे सुस्ताते थे
वहीं होती हाज़िरी,चाय और पानी
बिना कामके ही बेबाक जिंदगानी

अब प्यारी जनता का दर्द भी सुना जाएगा
क्योंकि चुनाव में नेता जी को इनके द्वारा ही चुना जाएगा
सब वादे आख़िरी छ: महीनों में पूरे किए जाएँगे
नेता जी अब मासूम जनता के लिए धक्के खाएँगे

रेडियो पर रोज सरकार की उपलब्धियां सुनाई जाती हैं
हर रोज नई नई योजनाएं बनाई जाती हैं
जो होंगी अभी के अभी क्रियान्वित सारी
क्योंकि अब है जनता से वोट लेने की बारी


भोली जनता फिर से सब मंहगाई भूल जाएगी
क्योंकि उनकी हर कोशिश अब टीवी पर सराही जाएगी
है चेतावनी मत भूलना ,किस तरह गुजरे हैं पांच साल
नहीं तो फिरसे हो जाओगे पांच साल के लिए बेहाल

मंहगाई घोटाले आसानी से भूल मत जाना 

यही समय है अगर है इनको सबक सिखाना 

वोट देना सोच समझ कर ए प्यारो 
अपने वोट को यूँ व्यर्थ न गंवाना यारो

....मौलिक व अप्रकाशित ....

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Comment

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Comment by Sarita Bhatia on June 27, 2013 at 7:37pm

आदरणीय विजय मिश्र जी एवं आदरणीया प्राची सिंह जी तह दिल से शुक्रिया 

Comment by Sarita Bhatia on June 27, 2013 at 7:34pm

आदरणीय कुंती जी ,व्जिय निकोर जी ,D P माथुर जी हार्दिक आभार मेरी रचना पर अपनी राय  रखने के लिए 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 27, 2013 at 7:25pm

आदरणीया सरिता भाटिया जी 

 चुनावी साल में बदले बदले नेताजी की योजनाओं के अंदाज का सटीक यथार्थ चित्रण किया है 

अभिव्यक्ति हेतु बधाई 

Comment by विजय मिश्र on June 27, 2013 at 5:54pm
"है चेतावनी मत भूलना ,किस तरह गुजरे हैं पांच साल
नहीं तो फिरसे हो जाओगे पांच साल के लिए बेहाल "
-- सरिता जी ,छलावा के अतिरिक्त कुछ नहीं देते ये नेता मगर साधूबाबा के तोते की तरह लोग मंत्र पढते हुए दाना चुगते जाते हैं और प्रलोभनों के जालमें फंसते भी जाते हैं और फिर घोर यातना सहने को बाध्य होते हैं .अत्यंत सामयिक रचना , बधाई
Comment by D P Mathur on June 27, 2013 at 8:08am

आदरणीया सरिता जी  शायद लेखकों की लेखनी ही हमारे नेताओं का दिल पिघला सकें या उन्हें शर्म का अहसास करा सकें , अच्छे सटीक चित्रण के लिये बधाई !

Comment by vijay nikore on June 27, 2013 at 3:41am

आदरणीया सरिता जी:

 

यथार्थ को अच्छा प्रदर्शित किया है। बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by coontee mukerji on June 27, 2013 at 2:22am

सरिता जी  आपने बहुत ही सजीव चित्रण किया है भोली जनता फिर से सब मंहगाई भूल जाएगी
क्योंकि उनकी हर कोशिश अब टीवी पर सराही जाएगी
है चेतावनी मत भूलना ,किस तरह गुजरे हैं पांच साल
नहीं तो फिरसे हो जाओगे पांच साल के लिए बेहाल

मंहगाई घोटाले आसानी से भूल मत जाना 

यही समय है अगर है इनको सबक सिखाना 

वोट देना सोच समझ कर ए प्यारो 
अपने वोट को यूँ व्यर्थ न गंवाना यारो........लेकिन कैसे परखेंगे कि कौन देश का सच्चा शुभचिंतक है.

Comment by Sarita Bhatia on June 26, 2013 at 9:27pm

ram shrimoni pathak ji hardik abhaar 

Comment by Sarita Bhatia on June 26, 2013 at 9:27pm

aadarniye shyam narain ji hardik abhinandan 

Comment by Sarita Bhatia on June 26, 2013 at 9:26pm

amakumar ji aapne bilkul thik kaha jiske vote se sab kuch badlega woh vote dete nahi aur phir se baji maar jate hain nikkamme log  

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