For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चुल्लू भर पानी ( लघु कथा )

 चुल्लू भर पानी

 

चिलचिलाती धूप मे भी तेरह –चौदह वर्षीय किशोर सिर पर मलबे से भरी टोकरी उठाए बहुमंज़िली इमारत से नीचे उतर रहा था । उतरते उतरते उसे चक्कर आने लगा उसने सुबह से कुछ खाया नहीं था । उसके घर मे कोई बनाने वाला नहीं था , उसकी माँ बहुत बीमार थी उसके लिए दवा का बंदोबस्त जो करना था उसी के वास्ते वह काम करने आया था । चक्कर आने पर वह वहीं सीढियों पर दीवाल से सिर टिका कर बैठ गया । ठेकेदार उधर से चला आ रहा था उसे बैठे देख गरजा – “ अबे ओ! कामचोर कहीं के ! जरा सा काम किया नहीं कि बैठ गए मुंह लटका कर ।“ वह धीरे से बोला –“साहब दो घूंट पानी” फिर से वहीं ढेर हो गया । ठेकेदार ने जोर की लात उसके सिर पर मारी, वह लड़खड़ाता हुआ सीढ़ियों से नीचे जा गिरा । उसके सिर व मुंह से खून निकल पड़ा था । ठेकेदार गुर्राया -“जा मर चुल्लू भर पानी मे , एक ढेला भी नहीं मिलेगा तुझे ।“ वह धीरे से बोला –“ साहब दो घूंट पीने को नहीं है , मरने को चुल्लू भर कहाँ से दोगे ?” सभी उसका मुंह ताकते रह गए । कितनी सटीक चोट मारी थी किशोर ने।

Views: 439

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by annapurna bajpai on July 1, 2013 at 5:21pm

आदरणीय माथुर जी उत्साह वर्धन के लिए आभार ।

Comment by D P Mathur on June 27, 2013 at 8:12pm

इस कलयुग में जीवन की वास्तविकता यही है अच्छी लधुकथा !

Comment by annapurna bajpai on June 6, 2013 at 9:06am

आदरणीय आपके सुझाव का ध्यान रखूंगी । सादर ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 5, 2013 at 11:59pm

कथा का भाव पक्ष और संप्रेषण बेहतर है. शिल्प को थोड़ा और कसावट के साथ व्यवस्थित किया जा सकता था.

बहुत-बहुत स्वीकारें, आदरणीया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 5, 2013 at 5:26pm

साहब दो घूंट पीने को नहीं है , मरने को चुल्लू भर कहाँ से दोगे ?

सच में करारा किन्तु सार्थक जबाब दिया बच्चे ने आज समाज में धन ने इतनी क्रूरता व्याप्त कर दी है लोगों में जो इंसान को इंसान नहीं समझते एक तो बाल श्रम क़ानून की धज्जिय उड़ाते हैं साथ ही साथ मानवता की भी धज्जियां उड़ाते हैं जो आपकी इस लघु कथा में साक्षात देखने को मिला हार्दिक बधाई अन्नपूर्णा जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, पोस्ट पर आने और सुझाव के लिए बहुत बहुत आभर।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service