For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुछ झोपड़ों को रोंद के जो घर बना रहा

कुछ झोपड़ों को रोंद के जो घर बना रहा

इस दौर में वो सख्स ही मंजिल को पा रहा

 

जितना नहीं है पास में उतना लुटा रहा

कितना अमीर है ग़मों में मुस्कुरा रहा 

 

अपनी ही गलतियों के हैं कांटे चुभे हमें

वरना सफर तो जिन्दगी का गुलनुमा रहा

 

कहने का शौक औ जुनूं उसका न पूछिए

बेबह्र भी कही ग़ज़ल वो गुनगुना रहा

 

शायद शहद झड़े है उसकी बात से यहाँ

इक झुण्ड मक्खियों सा क्यूँ ये भिनभिना रहा  

 

जब मुल्क में मची है यूँ हर ओर खलबली

तब हर सफ़ेद पोश अपना दम दिखा रहा

 

है रस्म या की कैद ये कपड़ों की क्या कहें 

जो नंगपन विदेशियों का सबको भा रहा

 

जितना किया है उसको उतना मिल गया तो फिर

हाथों की इक लकीर से क्यूँ मात खा रहा

 

कोई न आरजू थी न थी जुस्तजू न जिद

लेकिन तब उसके हाथ में इक झुनझुना रहा

 

लगता है परवरिश में कोई तो कमी थी यार  

बेटा बड़ा हो हमको ही आँखें दिखा रहा

 

शायद दुखा के दिल किसी अपने का है खड़ा

वो “दीप” अपने आप से नज़रें चुरा रहा

 

संदीप पटेल “दीप”

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 379

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 12, 2013 at 1:28pm

आप सभी मित्रों का हृदय से धन्यवाद और सादर आभार
स्नेह यूँ ही बनाए रखिए

आदरणीय वीनस जी सादर
आपकी प्रतिक्रिया का प्रसाद पाकर ये रचना सफल हुई
आपके सुझाव और मार्गदर्शन सदैव अपेक्षित हैं सादर

Comment by वीनस केसरी on July 11, 2013 at 2:15am

अपनी ही गलतियों के हैं कांटे चुभे हमें

वरना सफर तो जिन्दगी का गुलनुमा रहा

वाह भाई क्या कहने ... शानदार

Comment by coontee mukerji on July 4, 2013 at 7:28pm

जीवन की छुपी कड़वाहट के साथ ही अच्छा व्यंग्य भी है.आपकी लेखनी में हमेशा से दम रही है.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 4, 2013 at 5:41pm
आदरणीय..संदीप जी, बहुत खूबसूरत रचना..."जितना नहीं है पास में उतना लुटारहा,

कितना अमीरहै ग़मों में मुस्कुरारहा,,

अपनी ही गलतियों के हैं कांटे चुभे हमें

वरना सफर तो जिन्दगी का गुलनुमा रहा"......हार्दिक बधाइ स्वीकार करें

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 4, 2013 at 2:18pm

''कहने का शौक औ जुनूं उसका न पूछिए
बेबह्र भी कही ग़ज़ल वो गुनगुना रहा''

आपकी ये बात मेरे जैसे लोगों पे पूरी तरह लागू होती है. यूँ लग रहा है मेरे दिल की बात आपने कह दिया हो
इस ग़ज़ल के लिए आपको बधाई

Comment by अमित वागर्थ on July 4, 2013 at 1:01pm

ati sundar wah.....badhai

Comment by D P Mathur on July 4, 2013 at 8:06am

लगता है परवरिश में कोई तो कमी थी यार
बेटा बड़ा हो हमको ही आँखें दिखा रहा
आदरणीय संदीप जी नमस्कार,
बहुत सटीक व अच्छी रचना !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
11 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । विलम्ब के लिए क्षमा "
15 hours ago
सतविन्द्र कुमार राणा commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"जय हो, बेहतरीन ग़ज़ल कहने के लिए सादर बधाई आदरणीय मिथिलेश जी। "
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ओबीओ के मंच से सम्बद्ध सभी सदस्यों को दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ  छंदोत्सव के अंक 172 में…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! समय के साथ त्यौहारों के मनाने का तरीका बदलता गया है. प्रस्तुत सरसी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह ..  प्रत्येक बंद सोद्देश्य .. आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, आपकी रचना के बंद सामाजिकता के…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई साहब, आपकी दूसरी प्रस्तुति पहली से अधिक जमीनी, अधिक व्यावहारिक है. पर्वो-त्यौहारों…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। आपकी सार्थक टिप्पणी से हमारा उत्साहवर्धन …"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंद पर उपस्तिथि उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार। दीपोत्सव की…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अखिलेश कॄष्ण भाई, आयोजन में आपकी भागीदारी का धन्यवाद  हर बरस हर नगर में होता,…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी छन्द पर उपस्तिथि और सराहना के लिए हार्दिक आभार आपका। दीपोत्सव की हार्दिक…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी हार्दिक बधाई इस प्रस्तुति के लिए ।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service