भारत की अस्मत लुटने तक क्यूँ सोते हो सत्ताधारी
भाषण में झूठे वादों से
अपने नापाक इरादों से
तुम ख्वाब दिखाके उड़ने के
खुद बैठे हो सैयादों से
बस नोट, सियासी इल्ली बन, तुम बोते हो सत्ताधारी
भारत की अस्मत लुटने तक क्यूँ सोते हो सत्ताधारी
हर ओर मुफलिसी फांके हों
यूँ रोज ही भले धमाके हों
कागज़ पे सुरक्षा अच्छी है
इस पर भी खूब ठहाके हों
पहले तो खेल सजाते हो फिर रोते हो सत्ताधारी
भारत की अस्मत लुटने तक क्यूँ सोते हो सत्ताधारी
सारा सिस्टम है फेल यहाँ
नित महँगा होता तेल यहाँ
आतंकवाद में सिमटे से
होता है खूनी खेल यहाँ
खुद भार बने इस धरती का क्या ढोते हो सत्ताधारी
भारत की अस्मत लुटने तक क्यूँ सोते हो सत्ताधारी
बैठे लाशों के ढेरों पे
इन काल चक्र के फेरों पे
मजबूर लगे हो उलझे से
खुद रचे व्यूह के घेरों पे
तुम मदद जरा सी करके भगवन होते हो सत्ताधारी
भारत की अस्मत लुटने तक क्यूँ सोते हो सत्ताधारी
है तुमको क्या जन हानि से
तुलसी कबीर की बानी से
गूंगे अंधे बहरे बन के
लेना देना बस रानी से
तुम भूल आज को कल में कैसे खोते हो सत्ताधारी
भारत की अस्मत लुटने तक क्यूँ सोते हो सत्ताधारी
संदीप पटेल "दीप"
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
वाह आदरणीय मित्रवर वाह मजा आ गया क्या कहने सत्य सटीक सुन्दर प्रस्तुति भाई जी निम्नांकित पंक्तियों हेतु विशेष तौर पर बधाई स्वीकारें.
है तुमको क्या जन हानि से
तुलसी कबीर की बानी से
गूंगे अंधे बहरे बन के
लेना देना बस रानी से
वाह ! सुन्दर और सामयिक गीत रचना द्वारा सत्ताधारियों को कोसती रचना के लिए हार्दिक बधाई
श्री संदीप कुमार पटेल जी , कुछ दिन व्यस्त रहे घर पर, ओबीओ समारोह में अनुपस्थिति रही |
घर पर शिशु सकुशल होगा | सादर
बहुत बढ़िया अच्छी खबर ली सत्ताधारियों की बहुत बहुत बधाई प्रिय संदीप जी ,इतने दिन से कहाँ थे ?
बड़े अरसे के बाद आपको पढ़ा और आनंद आ गया
wah wah wah wah...............sara ka sara sach hi hai .........sandeep ji behatreen qalam ke liye shubkamnayen
सत्ताधारियों पे खुल के भड़ास निकाला है आपने संदीपजी बहुत अच्छी रचना वाह
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