For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भारत की अस्मत लुटने तक क्यूँ सोते हो सत्ताधारी

भारत की अस्मत लुटने तक क्यूँ सोते हो सत्ताधारी

भाषण में झूठे वादों से
अपने नापाक इरादों से
तुम ख्वाब दिखाके उड़ने के
खुद बैठे हो सैयादों से

बस नोट, सियासी इल्ली बन, तुम बोते हो सत्ताधारी   
भारत की अस्मत लुटने तक क्यूँ सोते हो सत्ताधारी

हर ओर मुफलिसी फांके हों  
यूँ रोज ही भले धमाके हों
कागज़ पे सुरक्षा अच्छी है
इस पर भी खूब ठहाके हों

पहले तो खेल सजाते हो फिर  रोते हो सत्ताधारी
भारत की अस्मत लुटने तक क्यूँ सोते हो सत्ताधारी

सारा सिस्टम है फेल यहाँ
नित महँगा होता तेल यहाँ
आतंकवाद में सिमटे से
होता है खूनी खेल यहाँ

खुद भार बने इस धरती का क्या ढोते हो सत्ताधारी
भारत की अस्मत लुटने तक क्यूँ सोते हो सत्ताधारी

बैठे लाशों के ढेरों पे
इन काल चक्र के फेरों पे
मजबूर लगे हो उलझे से
खुद रचे व्यूह के घेरों पे  

तुम मदद जरा सी करके भगवन होते हो सत्ताधारी
भारत की अस्मत लुटने तक क्यूँ सोते हो सत्ताधारी

है तुमको क्या जन हानि से
तुलसी कबीर की बानी से
गूंगे अंधे बहरे बन के
लेना देना बस रानी से

तुम भूल आज को कल में कैसे खोते हो सत्ताधारी
भारत की अस्मत लुटने तक क्यूँ सोते हो सत्ताधारी

संदीप पटेल "दीप"


मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 430

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 10, 2013 at 5:16pm

वाह आदरणीय मित्रवर वाह मजा आ गया क्या कहने सत्य सटीक सुन्दर प्रस्तुति भाई जी निम्नांकित पंक्तियों हेतु विशेष तौर पर  बधाई स्वीकारें.

है तुमको क्या जन हानि से
तुलसी कबीर की बानी से
गूंगे अंधे बहरे बन के
लेना देना बस रानी से

Comment by mrs.Preeti G.sharma on July 10, 2013 at 3:38pm
'Aadrniy sandip ji, sch me aaj hmare desh me, sattadhariyo ne aisi loot mcha rakhi hai, jesi aapne apni rachna me prastut ki hai, bdhai aapko
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 10, 2013 at 2:59pm

वाह ! सुन्दर और सामयिक गीत रचना द्वारा सत्ताधारियों को कोसती रचना के लिए हार्दिक बधाई

श्री संदीप कुमार पटेल जी , कुछ दिन व्यस्त रहे घर पर, ओबीओ समारोह में अनुपस्थिति रही |

घर पर शिशु सकुशल होगा | सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 9, 2013 at 9:17pm

बहुत बढ़िया अच्छी खबर ली सत्ताधारियों की बहुत बहुत बधाई प्रिय संदीप जी ,इतने दिन से कहाँ थे ?

Comment by राजेश 'मृदु' on July 9, 2013 at 6:26pm

बड़े अरसे के बाद आपको पढ़ा और आनंद आ गया

Comment by ajay sharma on July 8, 2013 at 11:09pm

wah wah wah wah...............sara ka sara sach hi hai .........sandeep ji behatreen qalam ke liye shubkamnayen

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 8, 2013 at 8:22pm

सत्ताधारियों पे खुल के भड़ास निकाला है आपने संदीपजी बहुत अच्छी रचना वाह

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
18 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
yesterday
Admin posted discussions
Monday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service