For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भला-भला सा यह घर अपना

यही सुखद संसार हमारा.. .

 

हम घर से ही जाने जाते 

इस घर से ही माने पाते 

खेल खेलते, उधम मचाते 

मगन हुए हम गाने गाते 

 

इसके होने ही से अपना 

सबल सधा आधार हमारा .. .  भला-भला सा यह घर अपना.. .

 

घर में दादा, दादी माँ हैं 

घर में चाचा और पिताजी 

चाची, भाई और बहन हैं 

व्यस्त-व्यस्त हैं अपनी माँजी 

 

एक सुबह से गये रात तक 

जीवन अपरम्पार हमारा.. .  भला-भला सा यह घर अपना.. .

 

घर का मेरे पहिचान बड़ा 

है घर के आगे नीम खड़ा 

शीतल छाया नीम पेड़ दे --

औ’ नहीं करेला दिखे चढ़ा 

 

छोटी-सी बगिया है प्यारी 

फूलों सा है प्यार हमारा.. .  भला-भला सा यह घर अपना.. .

 

घर ही से हर रिश्ता-नाता 

सबके होने से घर होता 

प्यार भरोसा चैन लुटाता 

घर हो तो जीवन सुख होता 

 

इस घर के हर कोने से है --

बना हुआ व्यवहार हमारा.. .  भला-भला सा यह घर अपना.. .

 

**************

--सौरभ

**************

 

प्रस्तुत बाल कविता मेरे स्वर में सुनी जाय.  आकाशवाणी इलाहाबाद से 15/ जनवरी/ 2012 को इस रचना का प्रसारण हुआ. 

 
  

Views: 1123

Replies to This Discussion

सौरभ जी, आपकी ये रचना ओबीओ पर ढूँढ कर अभी पढ़ी व आपकी आवाज़ में सुन भी ली. वाकई में...धन्य-धन्य है घर संसार, ये रचना है सुखद अपार. पढ़कर आनंद आ गया. मन मगन-मगन हो गया. क्या नक्शा खींचा है आपने घर-परिवार का लेखनी से...कुछ पलों को तो मैं कल्पना में वहीं पहुँच गयी :)))))

इस मनमोहक बाल-रचना पर आपको बहुत बधाई ! 

बाल मन की भावनाओं को इतने सुन्दर शब्दों में पिरोकर आपने उनके घर के प्रति उनकी भावनाओं को अपने जिस तरह से प्रस्तुत किया है उसे पढना एक सुखद अनुभूति दे जाता है... अपना बचपन और गाँव का घर याद हो आया और मन ही मन प्रफुल्लित होते हुए मैं वहां की सैर भी कर आया... इस सुन्दर रचना को आपकी आवाज में ही सुनना और सुखकर अनुभव रहा... हार्दिक बधाई सौरभ सर 

इस बालगीत को सार्थकता प्रदान करने के लिए हृदय से आभार भाई दुष्यंत सेवकजी.

बहुत खेद है कि आपके अनुमोदन पर मैं इतने दिनों बाद धन्यवाद ज्ञापन कर रहा हूँ. 

शुभ-शुभ

आदरणीय शन्नोजी,

इस बाल-गीत पर आपके उदार अनुमोदन तथा आपकी सराहती हुई टिप्पणी पर आज आभार व्यक्त कर पा रहा हूँ,

क्षमा-क्षमा-क्षमा.. .

सादर

सौरभ जी, आप क्षमा जैसी बात करके मुझे शर्मिंदा ना कीजिये. घर, रिश्ते और नीम के गुणों का बखान करते हुये आपकी इतनी मोहक कविता आपकी ही मीठी आवाज में पगी हुई...सुनकर मैं आनंद से सराबोर हो गयी :)

आदरणीया शन्नोजी,  यह हमारे प्रति आपकी सदाशयता ही है कि आपने इतनी सरलता से हमें उबार लिया.  अन्यथा रचना पर आपकी उन्मुक्त वाहवाही तथा मेरे धन्यवाद ज्ञापन के बीच का अन्तराल स्वयं ही सबकुछ कह रहा है. 

शन्नोजी, रचनाकार की निर्लिप्तता की भी एक हद होती है.

यह तो आपका हम जैसों, जिसे कई जन अब ’ओबीओ वाले’ कहते हैं, के प्रति अपार स्नेह तथा अतिशय लगाव ही है कि आप हमारे प्रयासो पर मुखर तालियाँ बजाती हैं. 

सादर

बहुत खूबसूरत बाल गीत आदरणीय सौरभ जी..

इस गीत के सस्वर गायन से बाल साहित्य समूह समृद्ध हुआ है..सादर आभार.

डॉ.प्राची, प्रस्तुत बाल-गीत पर आप द्वारा हुआ उत्साहवर्द्धन हमें बाल-रचनाओं के प्रति और आग्रही बनायेगा.

आपका सादर आभार

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना कि कुछ तो परदा नशीन रखना।कदम अना के हजार कुचले,न आस रखते हैं आसमां…See More
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ओबीओ द्वारा इस सफल आयोजन की हार्दिक बधाई।"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
yesterday
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"बहुत सुंदर अभी मन में इच्छा जन्मी कि ओबीओ की ऑनलाइन संगोष्ठी भी कर सकते हैं मासिक ईश्वर…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
Sunday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service