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जब तुम साथ न थे

प्रेम सुप्त पड़ा था

दिल मे दर्द बड़ा था

मरहम था तेरे पास 

जब तुम साथ न थे ...............

 

हर रोज एक आशा

कब होगे मेरे पास,

मेरा दिल तेरे पास

तेरा दिल मेरे पास

जब तुम साथ न थे ..............

 

राह तकती थी अँखियाँ

सूनी सी थी पगडंडियाँ

न महकती थी फुलवारियाँ

बढ़ती जाती थी दुश्वारियाँ 

जब तुम साथ न थे ....................

 

 

तेरा मुझको समझाना

जल्द होगा मेरा आना

आँसू आँख एक न लाना

रोज तू यूं ही मुस्काना

जब तुम साथ न थे .................अन्नपूर्णा बाजपेई

 

 

मौलिक एवं अप्रकाशित

 

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Comment

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Comment by annapurna bajpai on July 27, 2013 at 10:10pm

आदरणीय जीतेन्द्र जी आपका हार्दिक आभार ।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 27, 2013 at 8:24pm

राह तकती थी अँखियाँ

सूनी सी थी पगडंडियाँ

न महकती थी फुलवारियाँ

बढ़ती जाती थी दुश्वारियाँ 

जब तुम साथ न थे ....................आदरणीया अन्नपूर्णा जी , बहुत ही खुबसूरत पंक्ति ...बहुत बहुत बधाई आपको ..

Comment by annapurna bajpai on July 27, 2013 at 11:18am

adarniy brijesh ji , adarniy ram shiromani ji apka hardik dhanyvad .

Comment by बृजेश नीरज on July 26, 2013 at 10:06pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी बहुत सुन्दर प्रयास है आपका। आपको हार्दिक बधाई।

Comment by ram shiromani pathak on July 26, 2013 at 9:06pm

आदरणीया  सुन्दर रचना****हार्दिक बधाई

Comment by annapurna bajpai on July 26, 2013 at 12:39pm

आपका हार्दिक आभार आ० श्याम नारायण जी ।

Comment by Shyam Narain Verma on July 26, 2013 at 12:35pm
बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ………………
Comment by annapurna bajpai on July 26, 2013 at 12:23pm

apka hardik abhar adarniya Geetika ji .

Comment by वेदिका on July 26, 2013 at 12:21pm

रचना तो सुंदर है, किन्तु पगने के लिए थोडा और प्रयास चाहती है,,

हार्दिक बधाई स्वीकारें!!  

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