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वाह वाह अरुण भाई बहुत ख़ूबसूरत आशार कहे हैं आपने ! ये आपकी शायरी की खूबी है कि आपके भाव सीधे दिल में उतर जाते हैं ! मेरी ज़ाती राय है कि अगर आप अंग्रेजी के शब्दों का इस्तेमाल करें तो बात में हुस्न भी बढेगा और संजीदगी भी
जी बिलकुल मैं ध्यान रखूंगा |और मैंने एक जगह गिनीज बुक वाली बात लिखी है आप और बागी जी उसे देखें हमें लगता है कि साहित्य का इससे जीवंत मंच और कहीं नहीं जहां रचना और उसपर टिप्पणी करने वाले एक समय में ही आपस में जुड़े रहते हैं और इतनी बड़ी तादाद में |
मेरी पिछली टिप्पणी को यूं पढ़ें :
मेरी ज़ाती राय है कि अगर आप अंग्रेजी के शब्दों का इस्तेमाल "कम से कम" करें तो बात में हुस्न भी बढेगा और संजीदगी भी
मुझे भी लगा क्योंकि मैं अंग्रेज़ी शब्दों का इस्तेमाल करता हूँ |अब कम करूँगा भरसक | आपकी सलाह ज़रूर मददगार होगी |
बहुत बहुत आभार आपका अरुण भाई !
आदरणीय संचालक महोदय , नमस्कार .
तर`ही मुशायरा अपनी आनबान से आगे
बढ़ रहा है ... आप सब बधाई के पात्र है ...
ग़ज़ल के हर शेर के बारे मेी जो चर्चा चल रही है
उस से ग़ज़ल कहने वाले की हौसला अफ़ज़ाई होती है, इस मे कोई शक नही
इसी सिलसिले मेी मैने भी चन्द आशार
कहे हैं ... क्या इसी बॉक्स के ज़रिए रवाना कर सकता हूँ
मुंतज़िर ...
'दानिश' भारती
हैं
आपका बहुत बहुत स्वागत है दानिश साहिब, हम सब आपका कलाम पढने को बेताब हैं !
नवीन जी
आपने ग़ज़ल पसंद फर्माई,, इसके लिए आपका भी बहुत बहुत शुक्रगुज़ार हूँ
और
तंगी-ए-वक़्त के बाईस बारहा आना नही हो पाता,, मुआफी चाहता हूँ
श्री नेमीचन्द पुनिया ”चंदन” जी की गज़ल
मिलती है सबको रंजो-गम से राहत।
खुदा की है ये दस्तकारी मुहब्बत।।
वक्त ठहर सा जाता है, उस घड़ी पल
सुनता है जब उसके आने की आहट।। 2
तिरी उलफत ने रंग में ऐसा रंग डाला,
किसी सूरत अब बदलती नहीं आदत।। 3
कोई चष्मेबद्दूर, जो हमारी जानिब।
अंगुली उठाये उसकी आ जाए षामत।। 4
जिनको खुदा की खुदाई पे एतबार है,
उनकी जिंदगी में कभी न आये आफत।। 5
आपकी खिद्मत में चंद अषआर पेष है,
षुक्रिया कुबूल, तरही मुषयरे की दावत।। 6
जिन्दगी की आखिरी तमन्ना यही है ”चंदन”
फिर जन्म मिले, तो मुल्क हो मेरा भारत। 7
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