!!! लोरी !!!
आ जा रे आ जा निंदियां रानी री, भइया को सुला जा निंदियां रानी।
चन्दा की चांदनी चहुं दिश तुम्हारी, रश्मि औ किरने सगी बहने तुम्हारी।
मस्त गगन की तारावलियां तुम्हारी, धरती के पास आजा तारों के संग-
अपनी निंदियां सजा री! निंदिया रानी, भइया को सुला जा निंदियां रानी।।
ऊंचें पहाड़ों पर बर्फ की नदिया, नन्दन कानन की पतली पगडंडियां ।
पंछी औ जानवर साथी तुम्हारे, भइया के पास आ जा चिडि़यों के संग-
अपनी बतियां बता री निंदिया रानी, भइया को सुला जा निंदियां रानी।।
परियों के देश की परियां सजीली, बौनौं औ मछलियों की दुनिंयां पहेली।
बाग-बागीचों में मोर को नचा री, परियों के रथ बैठ भइया के संग-
अपनी दुनियां घुमा री! निदियां रानी, भइया को सुला जा निंदियां रानी।।
सपनों के स्वर्ग में घोड़ा उड़ेगा, परियों के साथ में भइया खेलेगा ।
शेरों के दांत गिन हाथी पछाड़ेगा, मछली के साथ नहाये तारों के संग-
अपनी दुनिया सजा री! निंदियां रानी, भइया को सुला जा निंदियां रानी।।
के0पी0सत्यम/मौलिक एवं अप्रकाशित
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बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ……………… |
बहुत प्यारी बाल रचना हेतु बधाई केवल जी|
आ0 राजेश कुमारी जी, आपका बहुत - बहुत आभार। सादर,
आ0 श्याम नारायण भाई जी, आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हृदयतल से बहुत - बहुत आभार। सादर,
लोरी जैसी विधा पर कलमगोई उत्साहित करती है. हार्दिक बधाई.
बाल कविता पर सहज होने की जिम्मेदारी भी होती है. कथ्य को और संप्रेषनीय और सहज होना था.
शुभ-शुभ
आ0 सौरभ सर जी, सादर प्रणाम! आपका हार्दिक आभार । 19 वर्ष पूर्व ही मात्र एक ही लोरी की रचना की है। आपके दिशा निर्देश के बाद पुन: कोशिश करना चाहूंगा।
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